अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) शनिवार को अपने दो पड़ोसी देशों कनाडा और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने वाले हैं। वह चीन के खिलाफ भी इसी तरह के उपाय पर विचार कर रहे हैं। ट्रंप ने गुरुवार को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में प्रेस से कहा, "हम कई कारणों से कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ की घोषणा करेंगे।" इन कारणों में इलीगल इमीग्रेशन, ड्रग्स की तस्करी और घाटे के रूप में कनाडा और मैक्सिको को अमेरिका की ओर से दी जाने वाली भारी सब्सिडी का हवाला दिया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "मैं कनाडा पर 25 प्रतिशत और मैक्सिको पर अलग से 25 प्रतिशत टैरिफ लगाऊंगा। हमें वास्तव में ऐसा करना होगा क्योंकि इन देशों के साथ हमारा घाटा बहुत बड़ा है। समय के साथ ये टैरिफ बढ़ भी सकते हैं और नहीं भी।" अभी यह स्पष्ट नहीं है कि टैरिफ के तहत आने वाली चीजों में तेल को शामिल किया जाएगा या नहीं।
ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी
इस बीच X पर Donald J. Trump Posts From His Truth Social अकाउंट पर एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप की ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी पोस्ट हुई है। ट्रंप का कहना है कि यह कदम तब उठाया जाएगा, अगर ब्रिक्स देश अपनी ब्रिक्स करेंसी बनाने और इंटरनेशनल ट्रेड में डॉलर को रिप्लेस करने की कोशिश करेंगे। ब्रिक्स देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, इजिप्ट, इथोपिया, ईरान और यूएई हैं। इससे पहले दिसंबर 2024 में ट्रंप की ओर से ब्रिक्स देशों को पहली बार यह धमकी मिली थी।
पोस्ट में लिखा है, 'यह सोच कि BRICS देश डॉलर से दूर जाने की कोशिश करेंगे और हम खड़े होकर देखेंगे, खत्म हो चुकी है। हमें इन देशों से यह प्रतिबद्धता चाहिए कि वे न तो नई BRICS मुद्रा बनाएंगे, न ही अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य करेंसी को सपोर्ट करेंगे। अगर वे नहीं माने तो उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा, और उन्हें अमेरिका में बिक्री को अलविदा भी कहना पड़ सकता है। वे किसी और "मूर्ख" को खोज सकते हैं! इस बात की कोई गुंजाइश नहीं है कि BRICS अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर को रिप्लेस कर देंगे। जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा, उसे अमेरिका को अलविदा कह देना चाहिए।'
BRICS की शुरुआत 2009 में हुई थी और यह अकेला ऐसा बड़ा इंटरनेशनल ग्रुप है, जिसमें अमेरिका शामिल नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से इसके कुछ सदस्य देश, विशेष रूप से रूस और चीन, अमेरिकी डॉलर का विकल्प तलाश रहे हैं या अपनी BRICS करेंसी बनाना चाहते हैं। भारत अब तक इस कदम का हिस्सा नहीं रहा है।