देश को कोरोना मुक्त (Covid Zero) करने पर बहुत ज्यादा फोकस चीन (China Government) के लिए महंगा पड़ सकता है। इससे इकोनॉमी की अनदेखी हो रही है। इस वजह से यूरोपीय कंपनियों के बीच इनवेस्टमेंट के लिहाज से चीन का अट्रैक्शन घट रहा है। यूरोपियन यूनियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (European Union Chamber of Commerce) ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। उसने चीन की सरकार को रिफॉर्म पर ज्यादा ध्यान देने की भी सलाह दी है।
बुधवार (20 सितंबर) को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के फैसलों के बाद चीन को अप्रत्याशित, कम भरोसमंद और असक्षम देश के रूप में देखा जा रहा है। इस वजह से चीन में भरोसा घट रहा है। कंपनियां अपना निवेश ऐसे दूसरे मार्केट्स में शिफ्ट करने के बारे में सोच रही हैं, जो ज्यादा भरोसेमंद है और जिनकी पॉलिसी को लेकर अंदाजा लगाया जा सकता है।
चैंबर के प्रेसिडेंट Joerg Wuttke ने कहा, "इंडस्ट्री से जुड़े लोग यहां बिजनेस करने के लिए आए हैं। लेकिन हम देख रहे हैं कि विचारधारा की वजह से मार्केट सिकुड़ रहा है। विचारधार इकोनॉमी पर भारी पड़ रही है।" उन्होंने इसके कई उदाहरण दिए। इनमें खर्च बढ़ने के बावजूद कोविड को लेकर ज्यादा फोकस, टेक्नोलॉजी कंपनियों के खिलाफ कड़े कदम और पिछले साल हुई बिजली की कमी शामिल हैं।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने 'Covid Zero' की पॉलिसी अपनाई है। इस पॉलिसी को लागू करने के तरीकों की वजह से यूरोपीय कंपनियों को दिक्कत हो रही है। इससे विदेशी और चाइनीज टैलेंट को अट्रैक्ट करने में भी परेशानी आ रही है। चीन में बिजनेस करने वाली यूरोपीय कंपनियों का कामकाज अलग-थलग पड़ गया है, क्योंकि उनके स्टाफ अपनी जरूरत के हिसाब से ट्रैवल नहीं कर सकते।
यूरोपीय कंपनियों को यह चिंता सता रही है कि चीन सरकार कब अपनी वायरस कंट्रोल पॉलिसी बंद करेगी और इंटरनेशनल बॉर्डर्स को खोलेगी। Wuttke का मानना है कि अगले साल की दूसरी छमाही में ऐसा हो सकता है। उन्होंने चीन में हर्ड इम्यूनिटी की कमी और बुजुर्गों में वैक्सीनेशन की कम दर को इकोनॉमी ओपन करने में देरी का कारण बताया।
चैंबर की रिपोर्ट में कहा गया है कि FDI घट रहा है। इस ट्रेंड के जल्द बदलने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि यूरोपीय कंपनियों के एग्जिक्यूटिव्स को चीन आने और यहां से बाहर जाने की इजाजत नहीं है। यह ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स के लिए बहुत बड़ी समस्या है।
चीन से यूरोपीय कंपनियों का बढ़ता मोहभंग इंडिया के लिए बड़ा मौका हो सकता है। इंडिया में विदेशी कंपनियों के लिए इनवेस्टमेंट की बहुत संभावनाएं हैं। इंडिया की लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था चीन के मुकाबले बहुत पारदर्शी है। केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार विदेशी कंपनियों को अट्रैक्ट करने की कोशिश कर रही है। इसके लिए पॉलिसी में बदलाव किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार की PLI स्कीम इसका उदाहरण है।