Rishi Rajpopat: ब्रिटेन की कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (Cambridge University) में पढ़ने वाले एक भारतीय छात्र ने संस्कृत भाषा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। व्याकरण की एक ऐसी समस्या जिसने 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व से संस्कृत के विद्वानों को परेशान कर रखा था। सेंट जॉन्स कॉलेज (St John's College) के ऋषि राजपोपट (Dr Rishi Rajpopat) ने "भाषा विज्ञान के पिता" पाणिनि के सिखाए गए एक नियम को डिकोड करके कामयाबी हासिल की है। यह करीब 2500 साल पुरानी पहेली है। पाणिनि (Panini) के संस्कृत व्याकरण की पहेली को उन्होंने सुलझाया है। इस मामले में एक प्रोफेसर ने कहा इससे संस्कृत के अध्ययन में क्रांति आ सकती है।
यह खोज किसी भी संस्कृत शब्द को 'पैदा' करना संभव बनाती है। 'मंत्र' और 'गुरु' सहित व्याकरण के नजरिए से लाखों सही शब्दों का निर्माण इससे हो सकता है। ऋषि एशियाई और मध्य पूर्वी स्टडीज विभाग से संस्कृत अध्ययन में पीएचडी पूरी की है। ऋषिराज पोपट पिछले 9 महीने से लगातार इस सूत्र पर काम कर रहे थे। पाणिनी प्राचीन संस्कृत भाषा के प्रकांड पंडित थे।
पाणिनी ने एक सूत्र में स्पष्ट किया था कि जब नियमों में विसंगति हो तब व्याकरण में बाद में आने वाले नियम को प्रभावी माना जाए। इस नियम की सही व्याख्या आसान नहीं थी। ऋषिराज ने इन सूत्रों को अलग तरीके से पारिभाषित किया है। उन्होंने कहा है कि पाणिनी का नियम शब्द के बाईं और दाईं तरफ के हिसाब से लागू होते हैं। पाणिनी का कहना था कि दाईं तरफ से लगने वाले नियम को प्रमाणिक माना जाए। जब पाणिनी के इस सूत्र पर उन्होंने काम किया तो पता चला कि पाणिनी का नियम 'लैंग्वेज मशीन' पर सटीक बैठता है। इसमें कोई अपवाद भी नजर नहीं आता है।
कंप्यूटर पर हो सकता है संस्कृत का इस्तेमाल
अब इसका मतलब यह हो सकता है कि पाणिनि का संस्कृत व्याकरण कंप्यूटर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। पाणिनि की प्रणाली को उनके लिखे गए सबसे मशहूर अष्टाध्यायी से जाना जाता है। इसमें विस्तृत तौर पर 4,000 नियम हैं। कहा जाता है कि इसमें लिखे गए नियम बिल्कुल एक मशीन की तरह से काम करने के लिए बनाए गए हैं।
ऋषि राजपोपट का जन्म 1995 में मुंबई में हुआ था। उन्होंने हाईस्कूल में संस्कृत और पाणिनी की संस्कृत व्याकरण एक रिटायर्ड प्रोफेसर से सीखा। ऋषि ने मुंबई में ही अर्थशास्त्र से ग्रेजुएशन पूरा किया है।