Iran Israel War: ईरान ने इजराइल पर अपना अब तक का सबसे बड़ा सीधा हमला किया है। मंगलवार देर रात सैंकडों की संख्या में बैलिस्टिक मिसाइलें इजरायल की ओर से दागी गईं। इसके कारण जान माल को हुए नुकसान की फिलहाल कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिल पाई है। हालांकि पूरी दुनिया इस हमले के चलते सहमी हुई है। ईरान और इजराइल के बीच बड़े स्तर पर जंग शुरू होने की आशंका जताई जा रही है। दोनों देशों के बीच टकराव की जड़ें दशकों पुरानी हैं। हालांकि हमेशा से ऐसा नहीं था। एक ऐसा भी समय था जब ईरान और इजरायल दोस्त हुआ करते थे।
ईरान और इजरायल के बीच दुश्मनी की शुरुआत सीधे तौर पर 1979 में इस्लामिक क्रांति के बाद हुई। इस क्रांति से पहले तक, ईरान पश्चिम एशिया में इजरायल के सबसे अहम सहयोगियों में से एक था। इस्लामिक क्रांति से पहले ईरान में राजशाही थी। शाह मोहम्मद रजा पहलवी के शासनकाल में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य संबंध बहुत मजबूत थे। लेकिन 1979 में अयातुल्लाह रुहोल्लाह खुमैनी की अगुवाई में ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई, जिसने दोनों देशों के बीच समीकरण को पूरी तरह से बदल दिया।
1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद, ईरान के सुप्रीम लीडर बने अयातुल्लाह रुहोल्लाह खुमैनी ने इजरायल को "शैतानी शक्ति" घोषित कर दिया और उसे इस्लाम के दुश्मन के रूप में पेश किया। खुमैनी ने इजरायल के साथ सभी कूटनीतिक संबंध भी तोड़ दिए और फिलिस्तीनियों के संघर्ष को खुलकर समर्थन देना शुरू किया। इसके साथ ही उसने हमास और हिजबुल्लाह जैसे समूहों को भी इजरायल के खिलाफ जंग के लिए खूब सहायता दी।
ईरान का परमाणु कार्यक्रम बना टेंशन
ईरान और इजरायल के बीच दुश्मनी धीरे-धीरे बढ़ी, लेकिन 2000 के दशक में यह एक अहम मोड़ पर पहुंच गई। ईरान का परमाणु कार्यक्रम इजरायल के लिए एक बड़ा चिंता का विषय बना। इजरायल को हमेशा से डर था कि अगर ईरान परमाणु हथियार विकसित कर लेता है, तो इससे उसकी सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकता है। इसके चलते इजरायल ने कई बार ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की धमकी दी, और इसी मुद्दे पर दोनों देशों के बीच तनातनी बढ़ती गई।
ईरान-इजरायल के बीच अबतक नहीं हुई है सीधी जंग
हालांकि ईरान और इजरायल के बीच अब तक सीधी सैन्य टकराव बहुत सीमित रहे हैं, लेकिन दोनों देशों ने कई बार अप्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे के खिलाफ कदम उठाए हैं। इजरायल और ईरान के बीच कई बार गुप्त हमले और साइबर हमले हुए हैं। इजरायल ने "स्टक्सनेट" नाम के एक साइबर हमले में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को भारी नुकसान पहुंचाया था। इसे किसी भी देश पर किया गया अबतक का सबसे बड़ा साइबर हमला माना जाता है।
साथ ही, सीरिया में गृह युद्ध के दौरान दोनों देशों के बीच अप्रत्यक्ष रूप से सैन्य झड़पें भी हुईं, जहां ईरान ने बशर अल-असद की सरकार का समर्थन किया और इजरायल ने उसके खिलाफ हवाई हमले किए। इसके अलावा ईरान ने हिजबुल्लाह और हमास जैसे संगठनों को सहायता और हथियारों की सप्लाई देकर इजरायल के लिए सालों से एक तरह की छद्म युद्ध की स्थिति पैदा करके रखी हुई है। इजरायल इन संगठनों को अपने लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में देखता है।