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PM Modi Mauritius Visit : मॉरीशस और भोजपुरी के बीच क्या है नाता? 191 साल पहले भारतीय गिरमिटिया मजदूर कैसे पहुंचे यहां, जानें

मॉरीशस और भारत के बीच गहरा रिश्ता है, खासकर भोजपुरी भाषा को लेकर। पीएम मोदी की सरकार कई सालों से मॉरीशस के साथ अपने मजबूत और खास रिश्ते को और बेहतर बनाने में जुटी है। आइए जानते हैं कि भोजपुरी और हिंदी वहां की प्रमुख भाषाओं में क्यों शामिल हैं

अपडेटेड Mar 11, 2025 पर 3:57 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को मॉरीशस पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत हुआ।

PM Modi Mauritius Visit : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को मॉरीशस पहुंचे, यहां उनका भव्य स्वागत हुआ। खास बात यह रही कि उन्हें भोजपुरी गीत-संगीत के साथ सम्मान दिया गया। पीएम मोदी मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। एक्स पर अपनी पोस्ट में उन्होंने इस खास स्वागत के लिए आभार जताया और कहा कि भोजपुरी भाषा का मॉरीशस की संस्कृति में रचा-बसा होना बेहद सराहनीय है।

 मॉरीशस और भारत के बीच गहरा रिश्ता

बता दें कि मॉरीशस और भारत के बीच गहरा रिश्ता है, खासकर भोजपुरी भाषा को लेकर। पीएम मोदी की सरकार कई सालों से मॉरीशस के साथ अपने मजबूत और खास रिश्ते को और बेहतर बनाने में जुटी है। आइए जानते हैं कि भोजपुरी और हिंदी वहां की प्रमुख भाषाओं में क्यों शामिल हैं। मॉरीशस हिंद महासागर में स्थित एक छोटा द्वीप देश है, जो अफ्रीका के दक्षिण-पूर्व में मेडागास्कर के करीब है। यह मस्कारेने द्वीप समूह का हिस्सा है और 12 मार्च 1968 को ब्रिटेन से आज़ाद हुआ था। यहां की आबादी करीब 12 लाख है, जिसमें 70% लोग भारतीय मूल के हैं। यहां हिंदू धर्म मानने वालों की संख्या ज्यादा है।


मॉरीशस और भोजपुरी की रिश्ता

कभी मॉरीशस ब्रिटिश और फ्रांसीसी शासन के अधीन था। 1834 से 1900 के बीच करीब पांच लाख भारतीयों को अंग्रेज मजदूरी के लिए यहां लाए। इनमें से दो तिहाई लोग यहीं बस गए। 2 नवंबर 1834 को ‘एटलस’ जहाज से सबसे पहले 36 भारतीय मजदूर मॉरीशस पहुंचे, जो बिहार के भोजपुरी भाषी थे। इसी वजह से इस दिन को मॉरीशस में अप्रवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है। मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुइस में अप्रवासी घाट वह जगह है, जहां भारतीय मजदूर पहली बार पहुंचे थे। यह स्थल अब यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, मॉरीशस की कुल आबादी में 5.3% लोग भोजपुरी बोलते हैं, जबकि 2000 में यह आंकड़ा 12.1% था। यहां उर्दू, तमिल और तेलुगु भाषाएं भी प्रचलित हैं।

फ्रेंच और क्रियोल के उपर भोजपुरी 

मॉरीशस में आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है, लेकिन यहां फ्रेंच और क्रियोल भी खूब बोली जाती हैं। चुनाव के दौरान राजनीतिक दल भोजपुरी भाषी लोगों तक पहुंचने के लिए अपने अभियानों में भोजपुरी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। मॉरीशस में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्या होने की वजह से इसे अक्सर "मिनी इंडिया" कहा जाता है। आजादी से पहले, यूपी और बिहार से कई लोगों को मजदूरी के लिए यहां लाया गया था। इन लोगों ने भोजपुरी और हिंदी भाषा को मॉरीशस में लोकप्रिय बना दिया।

भारतीय संस्कृति से रहा है नाता

मॉरीशस में सिर्फ भाषा ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति भी साफ नजर आती है। यहां के गांवों में महिलाएं साड़ी पहनकर झूमर, सोहर, कजरी या रतवाई जैसे पारंपरिक गीत गाती दिखती हैं। मॉरीशस में 2005 में भोजपुरी को प्राथमिक स्कूलों में एक वैकल्पिक विषय बनाया गया और 2012 में इसे चौथी कक्षा के लिए अनिवार्य कर दिया गया। 2013 में सरकार ने भोजपुरी भाषा को बढ़ावा देने के लिए एक भोजपुरी-भाषी संघ बनाया, जिसका मकसद इसे बोलचाल और लेखन, दोनों रूपों में मजबूत करना था। 2015 में इस कानून में कुछ बदलाव भी किए गए ताकि भाषा से जुड़े शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यों को और आगे बढ़ाया जा सके।

2017 में भोजपुरी भाषा और संस्कृति को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए भोजपुरी स्पीकिंग काउंसिल बनाई गई। इसके अलावा, 2007 के भाषा अधिनियम ने मॉरीशस में कई भाषाओं और सांस्कृतिक विविधता को महत्व दिया। इस अधिनियम में भोजपुरी जैसी भाषाओं की अहमियत को भी स्वीकार किया गया, जो देश की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं।

2018 में, मॉरीशस सरकार ने भोजपुरी भाषा को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष परियोजना शुरू की। जनवरी 2019 में, तत्कालीन पीएम प्रवीण कुमार जुगनौथ ने वाराणसी में प्रवासी भारतीय दिवस पर घोषणा की कि 2020 में मॉरीशस में अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव होगा। लेकिन कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण इसे आयोजित नहीं किया जा सका। भोजपुरी महोत्सव 2024 मॉरीशस के बेले मारे, फ्लैक स्थित लॉन्ग बीच मॉरीशस होटल में आयोजित हुआ।

क्या है गीत-गवई 

गीत-गवई एक पारंपरिक विवाह-पूर्व समारोह है, जिसमें भजन, प्रार्थना, संगीत और नृत्य के जरिए हिंदू देवी-देवताओं का सम्मान किया जाता है। यह गिरमिटिया लोगों की सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा है, जिन्होंने अपनी भाषा और परंपराओं को बचाने के लिए संघर्ष किया। यह परंपरा परिवारों, सामुदायिक केंद्रों और अकादमियों के जरिए आगे बढ़ी है। यूनेस्को ने भी इसे मान्यता दी है। जुलाई 2024 में विदेश मंत्री एस जयशंकर का मॉरीशस के ग्रैंड बोइस मेडी क्लिनिक में पारंपरिक ‘भोजपुरी गीत-गवई’ के साथ गर्मजोशी से स्वागत किया गया। उन्होंने एक वीडियो शेयर करते हुए एक्स पर लिखा, "मॉरीशस घर से दूर एक और घर जैसा है! यहां भोजपुरी गीत-गवई के साथ स्वागत होना भारत और मॉरीशस के गहरे रिश्ते को दर्शाता है।"

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