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Taliban on Kashmir: तालिबान का नया पैंतरा, जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का हक है

तालिबान ने दोहा समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि हम किसी देश के खिलाफ सशस्त्र अभियान नहीं चलाएंगे

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 03, 2021 पर 12:23 PM
Taliban on Kashmir: तालिबान का नया पैंतरा, जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का हक है

अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने कश्मीर को लेकर बड़ा बयान दिया है। तालिबान के प्रवक्ता ने सुहैल शाहीन ने कहा है कि हमारे पास कश्मीर के मुसलमानों के लिए भी आवाज उठाने का अधिकार है।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब एक तरफ भारत तालिबानियों के साथ दोहा में बातचीत कर रहा है। दूसरी तरफ तालिबानी प्रवक्ता कश्मीर को लेकर बयान दे रहे हैं।

इससे कयास लग रहे हैं कि पाकिस्तान तालिबान के उदय का इस्तेमाल अलगाववादी एजेंडे को हवा देने के लिए कश्मीर में इस्लामी भावनाओं को भड़काने के लिए कर सकता है।

इसके पहले अलकायदा ने तालिबानियों से कश्मीर को लेकर मदद मांगी थी। हालांकि तालिबान ने पहले कहा था कि वो भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के मुद्दे में शामिल नहीं होगा और अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश के लिए नहीं होने देगा। 

जूम कॉल के जरिए BBC से बात करते हुए सुहैल शाहीन ने कहा, मुसलमान के तौर पर भारत के कश्मीर में या किसी और देश में मुस्लिमों के लिए आवाज़ उठाने का हक तालिबान के पास है। हम आवाज़ उठाएंगे और कहेंगे कि मुसलमान आपके लोग है, अपने देश के नागरिक हैं। आपके कनून के मुताबिक वह सभी समान हैं। साथ ही सुहैल ने अमेरिका के साथ हुए दोहा समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि हम किसी देश के खिलाफ सशस्त्र अभियान नहीं चलाएंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 31 अगस्त को भारत ने पहली बार तालिबान के साथ आधिकारिक बातचीत की। इस दौरान भारत ने अपनी चिंताएं तालिबान नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तनिकजई से शेयर की है। इस मीटिंग में भारत ने कहा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों या किसी तरह से आतंकवाद के लिए नहीं होना चाहिए।

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