अमेरिकी फेड के खिलाफ एक मामला कोर्ट पहुंच चुका है। अमेरिकी बैंकों और कारोबारियों के एक ग्रुप ने मंगलवार को खुलासा किया कि अमेरिकी फेड के स्ट्रेस टेस्टिंग फ्रेमवर्क को चुनौती देने के लिए उन्होंने इसके खिलाफ मुकदमा किया है। अमेरिकी बैंकर्स एसोसिएशन और यूएस चेम्बर ऑफ कॉमर्स जैसे ग्रुप्स ने कहा कि यह मुकदमा लंबे समय से अटके कानूनी उल्लंघनों को सुलझाने की कोशिश हैं। उनका यह ऐलान अमेरिकी फेड के ऐलान के एक दिन बाद किया जिसमें अमेरिकी फेड ने बड़े अमेरिकी बैंकों से जुड़े सालाना स्ट्रेस टेस्ट में बड़े बदलाव की योजना की बात कही।
US Fed के खिलाफ मुकदमा क्यों?
अमेरिकी फेड ने सालाना स्ट्रेस टेस्ट में बड़े बदलाव की योजना का खुलासा किया ताकि प्रक्रिया अधिक पारदर्शी हो सके और परिणाम में भी कम उतार-चढ़ाव दिखे। बैंक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (BPI) ने भी इसके खिलाफ ओहिया के एक फेडरल कोर्ट में याचिका दायर की है। इस मामले के पांच वादी समूहों में से एक बीपीआई के प्रेसिडेंट ग्रेग बायर ने कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर पहले कदम के रूप में बोर्ड के ऐलान की वह प्रशंसा करते हैं लेकिन इंडस्ट्रीज के कानूनी अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए इस मुकदमे को दायर करना आवश्यक है ताकि उनके विकल्प खुले रहें।
अमेरिकी फेड के बोर्ड की योजना स्ट्रेस टेस्ट के दौरान बैकों के घाटे और रेवेन्यू के अनुमान से जुड़े मॉडल के खुलासे और पब्लिक कमेंट मंगाए जाने से जुड़ा प्रस्ताव लाने का है। इसमें पूंजी की जरूरतों में साल-दर-साल बदलाव को कम करने के लिए स्ट्रेस टेस्ट से निकले दो साल के रिजल्ट को एवरेज करने और अंतिम रूप से तय होने से पहले आम लोगों की प्रतिक्रियाएं मंगाने का प्रस्ताव शामिल है। अमेरिकी फेड इस पर अगले साल 2025 में जल्द से जल्द अमल करना चाहता है
स्ट्रेस टेस्ट सालाना यह जांचने का तरीका है कि जेपीमॉर्गन चेज, गोल्डमैन सैक्स और बैंक ऑफ अमेरिका जैसे अमेरिका के सबसे बड़े बैंक लगातार कई आर्थिक चुनौतियों के बीच कैसे निपट सकते हैं। हालिया परीक्षण में यह जांच की गई थी कि कॉमर्शियल रियल एस्टेट की कीमतों में 40 फीसदी की गिरावट और घरों की कीमतों में 36 फीसदी की गिरावट का सामना बैंक कैसे करेंगे। इसके नतीजों का अमेरिकी फेड बैंक कैपिटल की कुल जरूरतों को कैलकुलेट करने में करता है जिसे घाटा सहने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस टेस्ट ने वर्ष 2008 के वित्तीय संकट के बीच बैंकिंग सेक्टर में भरोसा बहाल करने में अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि हाल ही में इनकी काफी आलोचना हुई क्योंकि इसके मॉडल और रिजल्ट्स में साल-दर-साल अस्थिरता को लेकर पारदर्शिता की कमी है। मुकदमे में भी बैंकिंग ग्रुप ने भी कहा कि वे इस टेस्ट कके विरोध में नहीं हैं बल्कि प्रोसेस और बैंक के घाटों का अनुमान लगाने वाले मॉडल में अधिक पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।