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Nepal Politics: नेपाल की जनता क्यों चाहती है फिर से राजशाही, क्या पूर्व राजा ज्ञानेंद्र फिर गद्दी पर बैठेंगे?

RPP को राजशाही में पुराने सहयोगियों का समर्थन हासिल है। पार्टी के पास नेपाल की संसद में 275 में से 14 सीटें हैं, जबकि पिछले चुनाव में उसे केवल एक सीट मिली थी। नेपाल में अगला चुनाव 2027 में होगा। आइये नेपाल की वर्तमान राजनीतिक स्थिति को समझते हैं और जानते हैं कैसे ज्ञानेंद्र शाह को सत्ता से हटाया गया और क्यों देश में हिंदू राजतंत्र की मांग उठ रही है

MoneyControl Newsअपडेटेड Mar 11, 2025 पर 9:14 PM
Nepal Politics: नेपाल की जनता क्यों चाहती है फिर से राजशाही, क्या पूर्व राजा ज्ञानेंद्र फिर गद्दी पर बैठेंगे?
Nepal Politics: नेपाल के जनता फिर से क्यों चाहती है राजशाही

नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का रविवार को राजधानी काठमांडू में हजारों समर्थकों ने स्वागत किया। इस दौरान राजशाही और हिंदू धर्म को राज्य धर्म के रूप में बहाल करने की मांग की गई। ऐसा अनुमान है कि ज्ञानेंद्र के लगभग 10,000 समर्थकों ने पश्चिमी नेपाल के दौरे से लौटते समय काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयर पोर्ट के मेन एंट्री गेट को ब्लॉक कर दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस भीड़ में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) के सदस्य और कार्यकर्ता शामिल थे। 1990 के दशक में बनी RPP अब राजशाही को बहाल करने की मांग कर रही है।

RPP को राजशाही में पुराने सहयोगियों का समर्थन हासिल है। पार्टी के पास नेपाल की संसद में 275 में से 14 सीटें हैं, जबकि पिछले चुनाव में उसे केवल एक सीट मिली थी। नेपाल में अगला चुनाव 2027 में होगा। आइये नेपाल की वर्तमान राजनीतिक स्थिति को समझते हैं और जानते हैं कैसे ज्ञानेंद्र शाह को सत्ता से हटाया गया और क्यों देश में हिंदू राजतंत्र की मांग उठ रही है।

जब पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को पद से हटाया गया

77 साल के ज्ञानेंद्र 2002 में राजा बने थे, जब उनके बड़े भाई बीरेंद्र बीर बिक्रम शाह और उनके परिवार की महल में हत्या कर दी गई थी। उन्होंने 2005 तक बिना किसी कार्यकारी या राजनीतिक शक्तियों के संवैधानिक राज्य प्रमुख के रूप में शासन किया। इसके बाद उन्होंने यह कहते हुए पूर्ण सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया कि वे राजशाही-विरोधी माओवादी विद्रोहियों को हराने के लिए काम कर रहे थे।

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