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8th Pay Commission: साल 1946 में 55 रुपये से 2014 में 18,000 रुपये तक! जानें बीते 80 सालों में कैसे बदली सैलरी

8th Pay Commission: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। इसका मकसद 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी और 65 लाख पेंशनर्स के भत्तों को रिवाइज करना है। मौजूदा 7वें वेतन आयोग का टाइम पीरियड 2026 में समाप्त हो रहा है

अपडेटेड Jan 21, 2025 पर 2:00 PM
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8th Pay Commission: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है।

8th Pay Commission: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। इसका मकसद 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी और 65 लाख पेंशनर्स के भत्तों को रिवाइज करना है। मौजूदा 7वें वेतन आयोग का टाइम पीरियड 2026 में समाप्त हो रहा है। क्या आपको पता है कि पहला वेतन आयोग कब आया। पहले वेतन आयोग में न्यूनतम सैलरी 55 रुपये और अधिकतम सैलरी 2000 रुपये थी। यहां जानें सभी वेतन आयोग का इतिहास।

वेतन आयोग क्या है?

वेतन आयोग केंद्रीय सरकार समय-समय पर सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और अन्य भत्तों को रिवाइज करने के लिए गठित किए जाते हैं। इनका उद्देश्य कर्मचारियों के वेतन स्ट्रक्चर में सुधार करना और उन्हें आर्थिक स्थिरता देना है। अब तक सात वेतन आयोग बनाए जा चुके हैं।


पहला वेतन आयोग

पहला वेतन आयोग 1946 में गठित हुआ था। इसके बाद 1957, 1973, 1986, 1997, 2006 और 2014 में अन्य आयोगों का गठन किया गया। प्रत्येक वेतन आयोग ने आर्थिक परिस्थितियों, महंगाई और कर्मचारियों के जीवन स्तर का आकलन कर सिफारिशें दी हैं।

अब तक के वेतन आयोगों की जानकारी

पहला वेतन आयोग (1946-1947)

देश की आजादी के तुरंत बाद गठित, इस आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के वेतन ढांचे में सुधार की सिफारिश की।

अध्यक्ष: श्रीनिवास वरदाचार्य

न्यूनतम वेतन: 55 रुपये मंथली

अधिकतम वेतन: 2,000 रुपये मंथली

लाभार्थी: लगभग 15 लाख कर्मचारी

दूसरा वेतन आयोग (1957-1959)

इसने आर्थिक संतुलन और जीवन स्तर में सुधार पर जोर दिया।

अध्यक्ष: जगन्नाथ दास

न्यूनतम वेतन: 80 रुपये मंथली

लाभार्थी: लगभग 25 लाख कर्मचारी

तीसरा वेतन आयोग (1970-1973)

सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र के वेतन में समानता लाने पर ध्यान केंद्रित किया।

अध्यक्ष: रघुबीर दयाल

न्यूनतम वेतन: 185 रुपये मंथली

लाभार्थी: लगभग 30 लाख कर्मचारी

चौथा वेतन आयोग (1983-1986)

इसने रैंक के आधार पर वेतन असमानताओं को कम करने और प्रदर्शन आधारित वेतन ढांचे की शुरुआत की।

अध्यक्ष: पी.एन. सिंघल

न्यूनतम वेतन: 750 रुपये मंथली

लाभार्थी: 35 लाख से अधिक कर्मचारी

पांचवां वेतन आयोग (1994-1997)

इसने वेतनमानों की संख्या घटाने और महंगाई के प्रभाव को संबोधित किया।

अध्यक्ष: जस्टिस एस. रत्नवेल पांडियन

न्यूनतम वेतन: 2,550 रुपये मंथली

लाभार्थी: लगभग 40 लाख कर्मचारी

छठा वेतन आयोग (2006-2008)

इसने ‘पे बैंड’ और ‘ग्रेड पे’ की शुरुआत की और प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन पर जोर दिया।

अध्यक्ष: जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा

न्यूनतम वेतन: 7,000 रुपये मंथली

अधिकतम वेतन: 80,000 रुपये मंथली

लाभार्थी: लगभग 60 लाख कर्मचारी

सातवां वेतन आयोग (2014-2016)

इसने ग्रेड पे प्रणाली को बदलकर एक नया पे मैट्रिक्स पेश किया। भत्तों और पेंशन पर भी ध्यान केंद्रित किया।

अध्यक्ष: जस्टिस ए.के. माथुर

न्यूनतम वेतन: 18,000 रुपये मंथली

अधिकतम वेतन: 2,50,000 रुपये मंथली

कर्मचारी और पेंशनर: 1 करोड़ से अधिक

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

8वें वेतन आयोग से न केवल सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स की आय में बढ़ोतरी होगी, बल्कि यह उनकी जीवनशैली और आर्थिक सुरक्षा को भी बेहतर बनाएगा। इसके अलावा यह फैसला मार्केट में उपभोग बढ़ाने और देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा।

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First Published: Jan 20, 2025 3:33 PM

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