8th Pay Commission: केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। मोदी सरकार ने आखिरकार 8वें वेतन आयोग की आधिकारिक घोषणा कर दी है। वित्त मंत्रालय ने 3 नवंबर 2025 को इसकी अधिसूचना जारी की, जिससे अब आयोग का काम औपचारिक रूप से शुरू हो सकेगा। इस आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति रंजना देसाई करेंगी। इनके साथ प्रोफेसर पुलक घोष को पार्ट-टाइम सदस्य और पंकज जैन को सदस्य सचिव बनाया गया है। आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में होगा और इसे 18 महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी। जरूरत पड़ने पर यह आयोग बीच में अंतरिम रिपोर्ट भी दे सकेगा। ये आयोग सैलरी के साथ, भत्ते, बोनस, ग्रेच्युटी की भी समीक्षा करेगा।
किन कर्मचारियों को मिलेगा फायदा
यह आयोग केंद्र सरकार के औद्योगिक और गैर-औद्योगिक कर्मचारियों, अखिल भारतीय सेवाओं (IAS, IPS, IFS) के अधिकारियों, सशस्त्र बलों, संघ शासित प्रदेशों, भारत के ऑडिट एवं लेखा विभाग, संसद द्वारा बनाए गए रेगुलेटरी बॉडीज (RBI को छोड़कर) और सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट (UTs के तहत) के कर्मचारियों के वेतन और बेनेफिट्स की समीक्षा करेगा।
सिर्फ सैलरी नहीं, कई अन्य फायदे भी होंगे शामिल
अबकी बार आयोग का दायरा काफी बड़ा रखा गया है। यह केवल वेतन और पेंशन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि कर्मचारियों के भत्तों (allowances), बोनस, ग्रेच्युटी (gratuity) और परफॉर्मेंस आधारित इंसेटिव (Performance Linked Incentives) की भी समीक्षा करेगा।
वेतन और भत्ते: आयोग यह देखेगा कि वर्तमान सैलरी स्ट्रक्चर में क्या बदलाव किए जा सकते हैं ताकि सरकारी नौकरियां युवाओं के लिए आकर्षक बनें और कामकाज में जवाबदेही और दक्षता बढ़े।
बोनस, भत्ते और परफॉर्मेंस लिंक्ड इनसेंटिव: आयोग मौजूदा बोनस योजनाओं की समीक्षा करेगा और बेहतर परफॉर्मेंस करने वाले कर्मचारियों को इनाम देने के नए तरीकों की सिफारिश कर सकता है। आयोग यह भी तय करेगा कि मौजूदा भत्तों की संख्या और टाइप कितना व्यावहारिक है और क्या उनमें सुधार की जरूरत है।
ग्रेच्युटी और पेंशन: आयोग NPS यानी नेशनल पेंशन सिस्टम और नई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के तहत आने वाले कर्मचारियों की ग्रेच्युटी और रिटायरमेंट लाभों में सुधार की सिफारिश करेगा। साथ ही, जो कर्मचारी NPS में नहीं हैं, उनके लिए भी पेंशन व्यवस्था को बेहतर बनाने के सुझाव देगा।
आर्थिक स्थिति और राज्यों पर असर का ध्यान
सरकार ने आयोग को निर्देश दिया है कि वह सिफारिशें देते समय देश की आर्थिक स्थिति, राजकोषीय संतुलन (fiscal prudence) और राज्यों की वित्तीय हालत का ध्यान रखे। साथ ही, आयोग यह भी देखेगा कि केंद्र सरकार के पीएसयू और प्राइवेट सेक्टर में क्या सैलरी और सुविधाएं दी जा रही हैं। ताकि, तुलना के आधार पर व्यावहारिक सुझाव दिए जा सकें।
आयोग को दी गई पूरी स्वतंत्रता
सरकार ने आयोग को अपने कामकाज का तरीका खुद तय करने और जरूरत पड़ने पर एक्सपर्ट या सलाहकारों की मदद लेने की पूरी स्वतंत्रता दी है। सभी मंत्रालयों और विभागों को आयोग को पूरी जानकारी और सहयोग देने के निर्देश दिए गए हैं।
रिपोर्ट 18 महीनों में, जल्द मिल सकता है राहत पैकेज
आयोग को 18 महीनों में अपनी अंतिम रिपोर्ट देनी होगी। यानी अगर काम नवंबर 2025 से शुरू होता है, तो इसकी सिफारिशें मई 2027 तक सरकार को मिल सकती हैं। हालांकि, यह भी संभव है कि आयोग कुछ मुद्दों पर अंतरिम रिपोर्ट जारी करे ताकि कर्मचारियों को शुरुआती राहत जल्द मिले।