8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी स्ट्रक्चर ने समय के साथ बड़ा बदलाव देखा है। 1946 में ₹55 मासिक वेतन से शुरू होकर अभी ₹18,000 रुपये मंथली न्यूनतम बेसिक सैलरी है। अब सरकार ने आठवें वेतन आयोग के लिए मंजूरी दे दी है। नया वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। इसके तहत न्यूनतम बेसिक सैलरी में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
पहला वेतन आयोग (1946): 1947 में लागू हुआ। न्यूनतम वेतन ₹55 मासिक तय हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों के जीवन स्तर को सुधारना था।
दूसरा वेतन आयोग (1957): 1959 में हुआ। तब न्यूनतम वेतन ₹80 मासिक कर दिया गया। पारिवारिक भत्तों और रिटायरमेंट प्रॉफिट पर जोर दिया गया।
तीसरा वेतन आयोग (1970): 1973 में हुआ। तब न्यूनतम वेतन ₹185 मासिक हुआ। महंगाई भत्ता (DA) का प्रावधान जोड़ा गया।
चौथा वेतन आयोग (1983): 1986 में हुआ। तब न्यूनतम वेतन ₹750 मासिक हुआ। सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव किए गए।
पांचवां वेतन आयोग (1994): 1997 में हुआ। तब न्यूनतम वेतन ₹2,550 मासिक हुआ। DA का 50% बेसिक वेतन में जोड़ा गया।
छठा वेतन आयोग (2006): 2008 में हुआ। तब न्यूनतम वेतन ₹7,000 मासिक तय हुआ। पे बैंड और ग्रेड पे प्रणाली शुरू हुई।
सातवां वेतन आयोग (2013): 2016 में हुआ। तब न्यूनतम वेतन ₹18,000 मासिक हुआ। पे मैट्रिक्स प्रणाली लागू की गई। अभी देश में सातवां वेतन आयोग चल रहा है।
8वें वेतन आयोग की संभावनाएं
रिपोर्ट्स के अनुसार, 8वें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम वेतन ₹18,000 से बढ़कर ₹51,480 मासिक हो सकता है। इसके लिए फिटमेंट फैक्टर को 2.57 से बढ़ाकर 2.86 किए जाने की संभावना है। इसका मतलब है कि केंद्रीय कर्मचारी अपने मौजूदा वेतन का लगभग 186% अधिक वेतन ले सकेंगे।
8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होंगी। कर्मचारियों को रिवाइज वेतन फरवरी 2026 से मिलना शुरू हो सकता है, जो जनवरी 2026 का वेतन होगा। यह कदम न केवल कर्मचारियों के जीवन स्तर को बेहतर करेगा, बल्कि उनकी खरीदने की क्षमता को भी बढ़ाएगा। हालांकि, इससे सरकार पर वित्तीय भार बढ़ने की संभावना है, लेकिन यह कर्मचारियों के मनोबल और कार्यक्षमता में सुधार लाने में मदद करेगा।