बुजुर्गों के लिए अच्छी खबर है। अब 70 साल और इससे ज्यादा उम्र के लोगों को सरकार की हेल्थ स्कीम आयुष्मान भारत का फायदा मिलेगा। इससे खासकर उन बुजुर्गों को काफी फायदा होगा, जो खुद हेल्थ पॉलिसी नहीं खरीद सकते हैं। सोशल मीडिया पर सरकार के इस फैसले पर ज्यादातर यूजर्स ने खुशियां जताई है। कुछ यूजर्स ने कहा है कि अब सीनियर सिटीजंस को इंडिविजुअल हेल्थ पॉलिसी लेने की जरूरत नहीं है। सवाल है कि क्या यह सही है?
ऐसे बुजुर्गों को लाभ जो खुद प्रीमियम नहीं चुका सकते
Bajaj Allianz General Insurance के हेड (हेल्थ एसबीयू एंड ट्रैवल) आशीष सेठी ने कहा, "अब बुजुर्गों के मेडिकल केयर की जरूरत ठीक तरह से पूरी होगी। अब उनके इलाज में इनकम आड़े नहीं आएगी।" सरकार का यह फैसला उन बुजुर्गों के लिए बहुत मायने रखता है जो खुद हेल्थ पॉलिसी का प्रीमियम नहीं चुका सकते। साथ ही उन बुजुर्गों को भी इससे काफी मदद मिलेगी, जिन्हें पहसे से डायबिटीज, बीपी, कैंसर और दिल की बीमारी है।
सभी बुजुर्गों को इससे नहीं होगा लाभ
लेकिन, 70 साल और इससे ज्यादा उम्र के सभी लोगों के लिए सरकार की यह हेल्थ पॉलिसी उपयोगी नहीं है। इंश्योरेंस इंडस्ट्री के एक अधिकारी ने कहा, "सरकार की हेल्थ पॉलिसी उन लोगों के लिए सही है, जिन्हे बेसिक मेडिकल केयर की जरूरत है। वे पैनल के तहत आने वाले उन अस्पतालों में इलाज करा सकते हैं, जिनमें इलाज का खर्च फिक्स्ड है।" आयुष्मान भारत के तहत इलाज या मेडिकल जांच के लिए बुजुर्गों को लाइन में लगना होगा। कई बुजुर्गों को इसमें मुश्किल आ सकती है।
अभी नियम और शर्तें जारी होने का इंतजार
सरकार ने अभी बुजुर्गों के लिए आयुष्मान भारत स्कीम के नियम और शर्तों के बारे में विस्तार से नहीं बताया है। इस बारे में अभी तस्वीर साफ नहीं है कि इस हेल्थ स्कीम की शर्तें बुजुर्गों के लिए भी वही होंगी जो अभी गरीबी रेखा से नीचे आने वाले लोगों के लिए हैं। क्या सरकार बुजुर्गों के स्वास्थ्य को ध्यान में रख उन्हें किसी तरह की रियायत देगी? इंश्योरेंस इंडस्ट्री के अधिकारी ने कहा, "उदाहरण के लिए अगर बुजुर्ग खुद के लिए सिंगल प्राइवेट चाहता है तो इसके उपलब्ध होने की कम उम्मीद लगती है।"
खास एक्सपर्ट्स से इलाज के लिए जेब से खर्च करने होंगे पैसे
इंश्योरेंस इंडस्ट्री से जुड़े एक दूसरे अधिकारी ने कहा, "अगर बुजुर्ग को लग्जरी केयर नहीं चाहिए तो भी ऐसे कई लोग ऐसे डॉक्टर या हार्ट एक्सपर्ट से इलाज कराना चाहेंगे जिनकी सेवाएं वे लंबे समय से ले रहे हैं। हो सकता है कि ऐसे डॉक्टर और एक्सपर्ट्स आयुष्मान भारत के पैनल वाले हॉस्पिटल के तहत नहीं आते हों।" ऐसे में उन्हें ऐसे हॉस्पिटल में जाना होगा, जिसकी सलाह उनके डॉक्टर उन्हें देंगे। ऐसे में अगर बुजर्ग के पास अपनी हेल्थ पॉलिसी नहीं है तो उन्हें अपनी जेब से पैसे खर्च करने पड़ेंगे। इसके अलावा 70 साल और इससे ज्यादा उम्र के लोगों को चलनेफिरने में दिक्कत आती है। ऐसे में अगर उनके घर के नजदीक आयुष्मान भारत के पैनल वाला हॉस्पिटल नहीं है तो उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।
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आयुष्मान भारत को बैक-अप ऑप्शन माना जा सकता है
एक्सपर्ट्स का कहना है कि 70 साल और इससे ज्यादा उम्र के लोगों को आयुष्मान भारत हेल्थ स्कीम को बैक-अप ऑप्शन मानना चाहिए। यह स्टैंडअलोन हेल्थ पॉलिसी का विकल्प नहीं हो सकती। सेठी ने कहा कि स्टैंडअलोन पॉलिसी के तहत इलाज के लिए हॉस्पिटल का व्यापक नेटवर्क उपलब्ध होता है। साथ ही बुजुर्गों को ज्यादा कवर वाली हेल्थ पॉलिसी की जरूरत होती है। ज्यादा उम्र में होने वाली बीमारियों के इलाज के लिए 5 लाख रुपये का कवर पर्याप्त नहीं है।