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क्रेडिट कार्ड सहित बैंकिंग सेवाएं महंगी हो सकती है, FATF डिसक्लोजर स्टैंडर्ड में कर सकता है बदलाव

FATF 'ट्रैवल रूल' के इंप्लीमेंटेशन की भी जांच कर रहा है। इससे सभी क्रॉस-बॉर्डर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की ट्रैकिंग हो सकेगी। अभी क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन में सिर्फ कार्डहोल्डर का नाम और उसके देश के बारे में डिसक्लोजर देना जरूरी है

अपडेटेड Sep 10, 2024 पर 6:07 PM
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अगर नए स्टैंडर्ड्स का इस्तेमाल शुरू होता है तो कई देशों में लीगल और प्रोसिजरल बदलाव करने होंगे।

बैंक और क्रेडिट कार्ड कंपनियों का नियमों के पालन पर होने वाला खर्च बढ़ सकता है। दरअसल, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) सीमापार (क्रॉस बॉर्डर) ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए नए डिसक्लोजर स्टैंडर्ड्स लागू करने पर विचार कर रहा है। एफएटीएफ कई देशों की सरकारों की संस्था है, जिसका काम मनी लाउंड्रिंग पर अंकुश लगाना है। नए नियम के दायरे में क्रेडिट कार्ड और वायर ट्रांसफर भी आएंगे। फाइनेंस मिनिस्ट्री के सूत्रों ने यह जानकारी दी।

नियमों में बदलाव का असर घरेलू और विदेशी दोनों ट्रांजेक्शन पर पड़ेगा

फाइनेंस मिनिस्ट्री के सूत्रों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा प्रस्तावित बदलावों में वायर ट्रांसफर का रियल-टाइम ट्रैकिंग शामिल होगा। वायर ट्रांसफर का अभी उपलब्ध है लेकिन इसका हमेशा इस्तेमाल नहीं होता है। इसका असर इंटरनेशनल और घरेलू दोनों तरह के ट्रांजेक्शन पर पड़ेगा। सूत्र ने कहा, "इंडिया डिसक्लोजर और पारदर्शिता पर जोर देता रहा है। लेकिन, हमारा यह भी मानना है कि इस तरह के उपायों से फिनटेक इंडस्ट्री को दिक्कत नहीं आनी चाहिए या बिजनेस करने में लोगों को मुश्किल नहीं आनी चाहिए।"


ट्रैवल रूल के इंप्लिमेंटेशन की भी जांच

FATF 'ट्रैवल रूल' के इंप्लीमेंटेशन की भी जांच कर रहा है। इससे सभी क्रॉस-बॉर्डर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की ट्रैकिंग हो सकेगी। अभी क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन में सिर्फ कार्डहोल्डर का नाम और उसके देश के बारे में डिसक्लोजर देना जरूरी है। नए स्टैंडर्ड में ट्रांजेक्शन की रियल टाइम ट्रैकिंग बढ़ जाएगी। ज्यादा इंफॉर्मेशन का भी डिसक्लोजर देना होगा। इससे क्रेडिट कार्ड कंपनियों और वित्तीय संस्थाओं के लिए ऑपरेशनल कॉस्ट बढ़ जाएगी।

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क्रेडिट कार्ड कंपनियों के लिए बढ़ेगा कंप्लायंस

फाइनेंस मिनिस्ट्री के सूत्र ने कहा कि अगर नए स्टैंडर्ड्स का इस्तेमाल शुरू होता है तो कई देशों में लीगल और प्रोसिजरल बदलाव करने होंगे। इंडस्ट्री का मानना है कि इससे क्रेडिट कार्ड कंपनियों के लिए कंप्लायंस कॉस्ट बढ़ जाएगी। इस बारे में चल रही चर्चा में इंडिया की बड़ी भूमिका होगी। अगले साल मुंबई में इस बारे में अहम चर्चा होने वाली है। आरबीआई भी इस मसले से जुड़े पक्षों के साथ बातचीत कर रहा है। सूत्र ने बताया कि हम पारदर्शिता बढ़ाने के पक्ष में है लेकिन कंप्लायंस कॉस्ट बढ़ने की वजह से ट्रांजेक्शन की स्पीड में बाधा नहीं आनी चाहिए। FATF फाइनेंशियल इनक्लूजन अकाउंट्स के लिए भी स्टैंडर्ड्स में बदलाव करना चाहता है।

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