CANCEL CHEQUE: आमतौर पर बिजनेस के सिलसिले में या बीमा कंपनी और बैंक या कोई अन्य कंपनियां अपने ग्राहकों से कैंसिल चेक मांग करते हैं। इसके अलावा कई कंपनियां जॉब के समय अपने कर्मचारी से कैंसिल चेक लेती हैं। भले ही हम डिजिटल के इस युग में तेजी से बढ़ रहे हों, लेकिन यह परंपरा बरकरार है। ऐसे में आपके मन में ये सवाल जरूर आया होगा कि आखिर कैसिंल चेक की जरूरत क्यों पड़ती है?
आपको बता दें कि कैंसिल चेक से ट्रांजैक्शन नहीं किए जा सकते हैं। इसका इस्तेमाल सिर्फ आपके अकाउंट को वेरिफाई करने के लिए किया जाता है। जब किसी को कैंसिल चेक दिया जाता है तो दो समानांतर लाइन के बीच में Cancelled लिख दिया जाता है। ताकि चेक का कोई भी गलत इस्तेमाल न कर सके।
कैंसिल चेक में साइन जरूरी नहीं
जब आप किसी के कैंसिल चेक देते हैं तो उस पर साइन करने की जरूरत नहीं होती है। इस पर सिर्फ कैंसिल लिखना होता है। इसके अलावा चेक पर क्रॉस मार्क बनाया जा सकता है। इस तरह का चेक आपके अकाउंट को सिर्फ वेरिफाई करता है। अगर आपने किसी कंपनी को बैंक का कैंसिल चेक दिया तो इसका मतलब यह हुआ कि आपका उस बैंक में अकाउंट है। चेक पर आपका नाम हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है। उस पर आपका अकाउंट नंबर लिखा होता है। इसके साथ ही जिस ब्रांच में अकाउंट है। उसका IFSC कोड भी लिखा होता है। ऐसे में कैंसिल चेक बेकार है, ये सोचकर किसी को भी नहीं देना चाहिए।
कैंसिल चेक में किस इंक का करें इस्तेमाल
कैंसिल चेक के लिए आपको हमेशा सिर्फ ब्लैक इंक ( ली स्याही) और ब्ल्यू इंक (नीली स्याही) का इस्तेमाल करना चाहिए। किसी दूसरे रंग की इंक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। नहीं तो आपका चेक अमान्य कर दिया जाएगा।
कैंसिंल चेक की कब पड़ती है जरूरत
जब आप फाइनेंस से जुड़ा कोई काम करते हैं तो कैंसिल चेक मांगा जाता है। कार लोन, पर्सनल लोन, होम लोन लेते हैं तो लेंडर्स आपसे कैंसिल चेक की मांग करते हैं। यह चेक सिर्फ आपके अकाउंट को वेरिफाई करने के लिए किया जाता है। अगर प्रोविडेंट फंड से ऑफलाइन पैसा निकालते हैं तो कैंसिल चेक की जरूरत होती है। वहीं म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो कंपनियां कैंसिल चेक की जानकारी मांगती हैं। इसके अलावा इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के पर भी इसकी जरूरत पड़ती है।