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अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को 4 लाख रुपये तक का गोल्ड लोन देने की इजाजत मिली

केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 6 अक्टूबर को इसका ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अर्बन कोऑपरेटिव बैंक अब 4 लाख रुपये का गोल्ड लोन दे सकेंगे। अब तक यह सीमा 2 लाख रुपये थी। केंद्रीय बैंक के इस फैसले से कम पैसे वाले ग्राहकों को मदद मिलेगी। हालांकि, सिर्फ ऐसे अर्बन कोऑपरेटिव बैंक 4 लाख रुपये तक का गोल्ड लोन दे सकेंगे, जिन्होंने 31 मार्च, 2023 तक प्रायरिटी सेक्टर लेंडिंग (PSL) के टारगेट और सब-टारगेट को पूरा किया है

अपडेटेड Oct 06, 2023 पर 12:54 PM
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इससे पहले RBI ने 2007 में 1 लाख रुपये तक के गोल्ड लोन के बुलेट रीपेमेंट की इजाजत दी थी। 2014 में इसे बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया था। रीपेमेंट के लिए 12 महीने का समय तय है।

अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों (Urban Cooperative Banks) के लिए बड़ी खबर है। RBI ने अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के गोल्ड लोन देने की सीमा बढ़ा दी है। RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में यह फैसला लिया गया। केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 6 अक्टूबर को इसका ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अर्बन कोऑपरेटिव बैंक अब 4 लाख रुपये का गोल्ड लोन दे सकेंगे। अब तक यह सीमा 2 लाख रुपये थी। केंद्रीय बैंक के इस फैसले से कम पैसे वाले ग्राहकों को मदद मिलेगी।

ये शर्तें लागूं

हालांकि, सिर्फ ऐसे अर्बन कोऑपरेटिव बैंक 4 लाख रुपये तक का गोल्ड लोन दे सकेंगे, जिन्होंने 31 मार्च, 2023 तक प्रायरिटी सेक्टर लेंडिंग (PSL) के टारगेट और सब-टारगेट को पूरा किया है। इससे पहले RBI ने 2007 में 1 लाख रुपये तक के गोल्ड लोन के बुलेट रीपेमेंट की इजाजत दी थी। 2014 में इसे बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया था। रीपेमेंट के लिए 12 महीने का समय तय है।


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रीपेमेंट पीरियड 12 महीनों का होगा

अर्बन कोऑपरेटिव बैंक बुलेट रीपेमेंट के तहत गोल्ड लोन दे सकते हैं। इसके लिए EMI 12 महीनों की होगी। इसे 'बैलून पेमेंट' भी कहा जाता है। बैलून पेमेंट या बुलेट रीपेमेंट का मतलब लोन के बकाया अमाउंट के एकमुश्त पेमेंट से है। लोन की अवधि खत्म होने पर ज्यादातर बुलेट पेमेंट का इस्तेमाल होता है। निवेशकों ने अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के गोल्ड लोन देने की सीमा बढ़ाए जाने का स्वागत किया है। NBFC के शेयरों में इस फैसले के बाद उछाल देखने को मिला।

6 अक्टूबर को आई केंद्रीय बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी

आरबीआई ने 6 अक्टूबर को अपनी मॉनेटरी पॉलिसी पेश की। इसमें उसने रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया। इसे 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। केंद्रीय बैंक पिछले साल मई से छह बार रेपो रेट बढ़ा चुका है। इससे होम लोन के ग्राहकों की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। पहले से यह माना जा रहा था कि केंद्रीय बैंक अक्टूबर की अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट नहीं बढ़ाएगा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इनफ्लेशन को 4 फीसदी तक लाने पर केंद्रीय बैंक का फोकस बना रहेगा।

लंबे समय तक रेपो रेट स्थिर रहने के आसार

कोटक महिंद्रा की चीफ इकोनॉमिस्ट उपासन भारद्वाज ने कहा कि केंद्रीय बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी उम्मीद के मुताबिक रही। उसने रेपो रेट और मॉनेटरी पॉलिसी के अपने रुख में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है। हमारा मानना है कि केंद्रीय बैंक लंबे समय तक रेपो रेट में वृद्धि नहीं करेगा। हालांकि, वह लिक्विडिटी को जरूरत के हिसाब से बनाए रखने के लिए अपने दूसरे हथियारों का इस्तेमाल करेगा।

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