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Capital Gains Tax: शेयर, म्यूचुअल फंड और रियल एस्टेट पर कैसे लगता है टैक्स? समझिए पूरा कैलकुलेशन

Capital Gains Tax: कैपिटल गेंस टैक्स यह तय करता है कि रियल एस्टेट, शेयर या म्यूचुअल फंड बेचने पर आपको कितना टैक्स देना होगा। जानिए होल्डिंग पीरियड, टैक्स रेट और ₹1.25 लाख तक की छूट जैसी अहम बातें।

Suneel Kumarअपडेटेड May 10, 2025 पर 3:13 PM
Capital Gains Tax: शेयर, म्यूचुअल फंड और रियल एस्टेट पर कैसे लगता है टैक्स? समझिए पूरा कैलकुलेशन
शेयरों को एक साल के भीतर बेचने पर मुनाफा 20% की दर से टैक्सेबल होता है।

Capital Gains Tax: निवेश से मुनाफा कमाने के साथ टैक्स का सही आकलन करना भी उतना ही जरूरी होता है। आमतौर पर रियल एस्टेट, शेयर और म्यूचुअल फंड जैसे एसेट्स की बिक्री से जो लाभ होता है, उस पर सरकार कैपिटल गेंस टैक्स लगाती है। यह टैक्स इस बात पर निर्भर करता है कि संपत्ति को कितने समय तक होल्ड किया गया।

अगर कोई एसेट कम समय के लिए होल्ड किया गया है, तो उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (STCG) टैक्स लगता है। वहीं, लंबी अवधि के निवेश पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) लागू होता है। रियल एस्टेट के मामले में 24 महीने से कम की होल्डिंग को शॉर्ट टर्म माना जाता है। स्टॉक्स और सिक्योरिटीज के लिए यह अवधि 12 महीने है।

शेयर बेचने पर कैपिटल गेंस टैक्स

शेयरों को एक साल के भीतर बेचने पर मुनाफा 20% की दर से टैक्सेबल होता है। लेकिन अगर निवेशक ने शेयर एक साल से ज्यादा समय तक रखे, तो उस पर 12.5% का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगेगा। सरकार ने निवेशकों को राहत देते हुए यह व्यवस्था भी की है कि एक वित्त वर्ष में ₹1.25 लाख तक के लॉन्ग टर्म गेन पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।

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