Children's Day Special : बच्चों को ऐसे सिखाएं रुपये-पैसे की वैल्यू, बाद में दिखेंगे बड़े फायदे

बच्चों को रुपये-पैसे की दुनिया के बारे में शुरू से बताने के कई फायदें हैं। इससे बड़े होकर वे फाइनेंशियल मामलों में ज्यादा जिम्मेदारी से पेश आते हैं। कई माता-पिता इस बात को समझने लगे हैं। दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में कई माता-पिता बच्चों को फाइनेंशियली लिट्रेट बनाने पर फोकस कर रहे हैं

अपडेटेड Nov 14, 2023 पर 11:15 AM
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फाइनेंशियल प्लैनर्स का भी मानना है कि बच्चों को शुरू से ही फाइनेंशियल मामलों के बारे में बताना फायदेमंद है। इससे बड़े होने पर ऐसी कई चीजों समझ चुके होतें हैं जो कई बड़े लोग भी नहीं जानते।

दिल्ली की रहने वाली कविता मारवाह (40 साल) अपने बेटे मोहिक को बचपन से ही पैसे की कीमत सिखाने की कोशिश कर रही हैं। 11 साल का मोहिक 6 साल की उम्र से ही सेविंग्स अकाउंट ऑपरेट कर रहा है। मारवाह बताती हैं कि उनका बेटा नियमित रूप से अपनी पॉकेट मनी अलग करने के बाद उसे अपने सेविंग्स अकाउंट में डिपॉजिट कर देता है। वह इंटरेस्ट रेट्स, कंपाउंडिंग जैसे कॉन्सेप्ट समझने लगा है। मारवाह ऐसा करने वाली अकेली मां नहीं हैं। दिल्ली के ही रहने वाले कमल मल्होत्रा अपने 6 साल के बेटे को सेविंग्स के फायदे बताते रहते हैं। वह बताते हैं कि उनका बेटा रिश्तेदार से गिफ्ट के रूप में मिले पैसों को अपने सेविंग्स अकाउंट में डालता है। फाइनेंशियल प्लैनर्स का भी मानना है कि बच्चों को शुरू से ही फाइनेंशियल मामलों के बारे में बताना फायदेमंद है। इससे बड़े होने पर ऐसी कई चीजों समझ चुके होतें हैं जो कई बड़े लोग भी नहीं जानते।

पैसे-रुपये से जड़ी चीजें स्कूल में नहीं सिखाई जाती

प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के फाउंडर और सीईओ विशाल धवन ने कहा कि बच्चों को जितना जल्द बजट, खर्च, इंटरेस्ट रेट जैसी चीजों के बारे में बताया जाए उनता अच्छा है। इससे बड़े होने पर वे पैसे-रुपये के मामले में ज्यादा जिम्मेदार हो जाते हैं। अभी स्कूलों में ऐसी चीजें नहीं सिखाई जाती हैं। लेकिन, माता-पिता अपने स्तर से इन चीजों के बारे में बच्चों को बता सकते हैं। शुरू में ये चीजें गैर-जरूरी लग सकती हैं, लेकन बाद में इनका बड़ा फर्क पड़ता है। यहीं वजह है कि आज कई माता-पिता ऐसा कर रहे हैं।


नियमित रूप से छोटी सेविंग्स से बड़ा फंड बन सकता है

ऋषिकेश अभी सिर्फ 15 साल का है। उसकी मां भुवना श्रीराम बताती हैं कि वह बजट का पूरा ध्यान रखता है। उनका बेटा नियमित रूप से अपने नोटबुक में अपने खर्चों को लिखता है। वह खर्च करने से पहले ही पैसे के सोर्स के बारे में सोचता है और उसका बजट बनाता है। मुंबई की तसनीम कागावाला बताती हैं कि 12 साल का उनका बेटा कुशई कागावाला अपनी पॉकेट मनी से कुछ पैसा हर महीने बचाता है। इस तरह उसका जोर लगातार कुछ पैसे सेव करने पर रहता है। लंबी अवधि में इस तरह अच्छा फंड तैयार हो सकता है। इसका इस्तेमाल बच्चे की हायर स्टडी सहित दूसरे जरूरी कामों के लिए किया जा सकता है।

kavita marwah

बच्चों को प्रैक्टिकल जानकारी देने के कई फायदे

सृजन फाइनेंशियल सर्विसेज की फाउंडर-पार्नटर दीपाली सेन ने कहा कि आप जब एटीएम ट्रांजेक्शन के लिए जाते हैं तो आपको अपने बेटे या बेटी को साथ ले जाना चाहिए। अपने बच्चों को आप कभी-कभी बैंक ब्रांच में भी ले जा सकते हैं। उन्हें बताना होगा कि यूपीआई ट्रांजेक्शन कैसे होता है, ऑनलाइन पैसे का ट्रांसफर कैसे किया जाता है। उन्हें बताना होगा कि रुपये-पैसे की यह दुनिया कैसे काम करती है। बच्चे सिर्फ किताबों में पढ़कर चीजों को ठीक तरह से नहीं समझ पाते। उन्हें प्रैक्टिल जानकारी देने की जरूरत है।

tasneem qagawala

MoneyControl News

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First Published: Nov 14, 2023 10:56 AM

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