गेहूं के बाद अब चावल के दाम बढ़ने लगे हैं। दरअसल इस साल कई राज्यों में खराब मानसून के चलते धान की बुवाई में 15 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। सरकार ने चावल के उत्पादन की समीक्षा करने के लिए 30 अगस्त को राज्य के साथ बैठक भी बुलाई है। इस पर अधिक जानकारी देते हुए सीएनबीसी-आवाज़ के असीम मनचंदा ने बताया कि गेहूं के बाद चावल की कीमतों में बढ़ोतरी से सरकार टेंशन में है। कई राज्यों में खराब मानसून का असर धान की खेती पर देखने को मिल रहा है।
उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड में मानसून खराब रहा है। इसके चलते चावल की रोपाई में 15 फीसदी तक की गिरावट आई है। पिछले साल के मुकाबले अब तक धान की रोपाई में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। सरकार ने चावल बुवाई का डाटा जारी करना बंद कर दिया है। सरकार ने इस पर 30 अगस्त को राज्यों के साथ एक बैठक भी बुलाई है। बता दें कि पिछले साल 129 मेट्रिक टन चावल का उत्पादन हुआ था। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक और सबसे बड़ा निर्यातक देश है। वैश्विक चावल व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी है।
उधर कमोडिटी की कीमतों पर आज IMC की अहम बैठक होने वाली है। इस बैठक में चावल के बढ़ते दाम और कम बुवाई के अनुमान को देखते हुए एक्सपोर्ट पर रेग्युलेशन को लेकर चर्चा हो सकती है। चावल के बढ़ते दाम पर सरकार की नजर है। बीते दो महीने में चावल के दाम 20-30 फीसदी तक बढ़े हैं।
सरकार ने तुअर दाल के बढ़ते दाम पर भी दिखाई सख्ती
इस बीच तुअर दाल के बढ़ते दाम पर सरकार ने फिर से सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। अब व्यापारियों के लिए तुअर दाल का स्टॉक घोषित करना जरूरी कर दिया गया है। सरकार को तुअर दाल में जमाखोरी की आशंका है। जरूरत पड़ी तो सरकार बफर स्टॉक से भी दाल बेचेगी। सरकार के पास 38 लाख टन दाल का बफर स्टॉक है। पिछले कुछ हफ्तों में तुअर और उड़द दाल के दाम बढ़ रहे हैं।
गौरतलब है कि जुलाई के दूसरे सप्ताह में दाल की कीमतों में तेजी आई थी। सरकार को कुछ राज्यों में जमाखोरी की आशंका है।कर्नाटक, महाराष्ट्र में बारिश से फसल को नुकसान हुआ है। त्योहारों को देखते हुए भी कीमतें काबू में करने की कोशिश हो रही है।