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Bank: कभी श्री राम और लक्ष्मण के नाम से चलते थे बैंक, राजा-महाराज काटते थे चेक

Sriramchandra Laxman Bank: राजा-महाराजाओं के दौर में भी बैंक चलते थे। रियासतकाल में डूंगरपुर में श्रीरामचन्द्र लक्ष्मण बैंक चलता था। इसकी स्थापना महारावल लक्ष्मण सिंह के शासनकाल में हुई। कई दशक तक यह बैंक अस्तित्व में रहा। देश की आजादी के बाद बैंकों का विलय हो गया। इसका चेक सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है

अपडेटेड Jan 23, 2025 पर 12:55 PM
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Sriramchandra Laxman Bank: श्रीरामचन्द्र लक्ष्मण बैंक के चेक की छपाई लखनऊ के एनके प्रेस में हुआ करती थी।

बहुत कम लोगों को पता होगा कि हमारे देश में प्रभु श्रीराम के नाम से बैंक भी हुआ करता था। प्रभु राम, लक्ष्मण और सीता मां की तस्वीर भी बैंक के चेक में होती थीं। अतीत के पन्ने बता रहे कि हमारी संस्कृति के कण-कण में राम बसे थे। राजस्थान हो या तमिलनाडु, बैंक के चेक में सनातनी संस्कृति साफतौर पर झलकती थी। डूंगरपुर का रियासतकालीन श्रीरामचन्द्र लक्ष्मण बैंक इसी की कहानी सब कुछ बता रहा है। यह बैंक राजा महाराजोँ के दौर में था। यह बैंक लंबे समय तक काम करता रहा। फिर आजादी के बाद इसे अन्य बैंकों में विलय कर दिया गया।

राजा-महाराजओं के दौर में श्रीरामचन्द्र लक्ष्मण बैंक हुआ करता था। रियासतकाल में डूंगरपुर में इसकी स्थापना महारावल लक्ष्मण सिंह के शासनकाल में हुई थी। कई दशक तक यह बैंक अस्तित्व में रहा। डूंगरपुर शासक के मौखिक आदेश पर इसकी स्थापना की गई थी। बैंक और चेक दोनों प्रभु श्रीराम के नाम से चलते थे। इस पर आकर्षक डिजाइन के बीच सीता राम का चित्र होता था। डूंगरपुर स्टेट के इस बैंक के चेक लखनऊ के एनके प्रेस में छपते थे।

कई राजाओं के बैंक में खुले थे अकाउंट


श्री रामचंद्र लक्ष्मण बैंक राजस्थान के डूंगरपुर में था। 19वीं में जब राजाओं का शासन था। तब बैंक की शुरुआत हुई थी। बैंक का कोई लिखित संविधान नहीं था। अपने समय में इस बैंक ने कई राजाओं के बैंक अकाउंट खोले थे। साथ ही जनता के पैसे भी बैंक में सुरक्षित तरीके से जमा रहते थे। दिलचस्प बात ये है कि उस समय भी इस बैंक ने अपना चेकबुक दिया था। इसका डिजाइन आज के चेक से काफी अलग और आकर्षक था। इस चेक को कोटा के मुद्रा विशेषज्ञ शैलेष जैन ने जमा किया था। उनके संग्रह में मौजूद इस चेक को लोग जमकर शेयर कर रहे हैं। ये चेक श्रीरामचन्द्र लक्ष्मण बैंक का है। बैंक के नाम और लोगो में भी भगवान राम मौजूद थे। भगवान राम जन-जन के आराध्य रहे हैं।

अकबर के दौर में भगवान राम के सिक्के

कहा जा रहा है कि बादशाह अकबर के समय साल 1604 में सोने और चांदी के सिक्के जारी किए गए थे। इनमें एक तरफ भगवान राम हाथ में धनुष लिए और माता सीता हाथ में फूल लिए हैं। मोहम्मद गौरी ने देवी लक्ष्मी को मुद्रा में अंकित करवाया था।

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First Published: Jan 23, 2025 12:54 PM

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