रूस-यूक्रेन की जंग के चलते दुनिया भर में सप्लाई की दिक्कतें बढ़ गई हैं जिसके चलते कमोडिटी की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। इस जंग के चलते उत्पन्न हुई दिक्कतों की मार से डायमंड भी अछूता नहीं रहा है। रूस-यूक्रेन जंग से रफ डायमंड की सप्लाई घटी है। रफ डायमंड की सप्लाई घटने से डायमंड की कीमतों में इजाफा हुआ है। नेचुरल हीरे की सप्लाई घटने से कृत्रिम हीरा डिमांड में है। बता दें कि लेबोरेटरी में बनाए जाने वाले कृत्रिम हीरे को लैब ग्रोन डायमंड कहा जाता है। लैब ग्रोन डायमंड का मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। गौरतलब है कि गुजरात के सूरत में दुनिया के 90 फीसदी हीरे की कटिंग-पॉलिशिंग होती है।
भारत के डायमंड कारोबार पर नजर डालें तो दुनिया के 90 फीसदी हीरे की कटिंग-पॉलिशिंग सूरत में होती है। देश में रूस से सालाना 75000 करोड़ रुपए के रफ डायमंड का इंपोर्ट होता है। रूस-यूक्रेन जंग से रूस से रफ डायमंड इंपोर्ट 30 फीसदी गिरा है। रूस से इंपोर्ट रुकने से सिंथेटिक हीरे का काम 8 गुना बढ़ा है। सूरत में 500 से ज्यादा लैब ग्रोन हीरा मैन्युफैक्चरिंग यूनिटें हैं। बता दें कि US में भारत के कट-पॉलिश्ड हीरे की डिमांड सबसे अधिक है। US के अलावा UAE और हॉन्ग कॉन्ग में भी इसकी भारी डिमांड है।
डायमंड पर CRISIL की रिपोर्ट
CRISIL ने डायमंड पर जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चालू वित्त वर्ष में डायमंड कारोबार में 15-20 फीसदी गिरावट के आसार हैं। ग्लोबल मांग घटने और रफ डायमंड की किल्लत का असर देखने को मिलेगा। पॉलिश्ड हीरे पर मुनाफा 0.75-1 फीसदी से घटकर 4-4.25 फीसदी रह गया है। रूस-यूक्रेन जंग से रफ डायमंड के दाम में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2023 में लैब ग्रोन डायमंड का मार्केट 8 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है।
लैब ग्रोन डायमंड की मांग बढ़ी
नेचुरल हीरे की सप्लाई घटने से कृत्रिम हीरा डिमांड में है। बता दें कि लेबोरेटरी में बनाए जाने वाले कृत्रिम हीरे को लैब ग्रोन डायमंड कहा जाता है। नेचुरल हीरे के मुकाबले ये करीब 50-60 फीसदी सस्ता मिलता है। 1 कैरेट नेचुरल हीरे की कीमत में 2.15 कैरेट लैब ग्रोन हीरा मिल जाता है। सस्ता होने से युवाओं में लैब ग्रोन हीरे की डिमांड बढ़ी है। 1950 के दशक से दुनिया में कृत्रिम हीरे का प्रोडक्शन हो रहा है। भारत में 2004 से लैब ग्रोन हीरे का उत्पादन शुरु हुआ। लैब ग्रोन डायमंड का भारत में अभी 15500 करोड़ रुपए का कारोबार है। 2025 तक भारत में इसका कारोबार 31000 करोड़ रुपए पहुंचने की उम्मीद है। भारत में अभी दुनिया का 15 फीसदी कृत्रिम डायमंड प्रोडक्शन होता है। चीन दुनिया का 56 फीसदी कृत्रिम हीरों का उत्पादन करता है।
क्या होता है लैब ग्रोन डायमंड?
नेचुरल हीरे की माइनिंग होती है। वहीं, कृत्रिम हीरे लैब में तैयार होते हैं। नेचुरल हीरा जमीन के नीचे एक निश्चित ताप और दाब पर हजारों सालों में बनता है। वहीं, लैब ग्रोन डायमंड सिर्फ 1-4 हफ्तों में तैयार हो जाते हैं। लैब ग्रोन डायमंड की बनावट और चमक नेचुरल हीरे जैसी ही होती है।
टॉप रफ डायमंड उत्पादक देश
टॉप रफ डायमंड उत्पादक देशों पर नजर डालें तो दुनिया के कुल रफ डायमंड उत्पादन में रूस की हिस्सेदारी 32.8 फीसदी, बोत्सवाना की हिस्सेदारी 17.7 फीसदी, कनाडा की हिस्सेदारी 13.5 फीसदी, कांगो की हिस्सेदारी 10.2 फीसदी, ऑस्ट्रेलिया की हिस्सेदारी 9.4 फीसदी और अन्य की हिस्सेदारी 16.4 फीसदी है।