PM Vishwakarma Scheme: विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti) के मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आज पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए 'पीएम विश्वकर्मा' (PM Vishwakarma) योजना लॉन्च कर दी है। आज पीएम मोदी (PM Modi) का जन्मदिन है। इसी मौके पर केंद सरकार पीएम विश्वकर्मा योजना का तोहफा दिया। दरअसल, PM Vishwakarma Yojana 2023 केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट सत्र में विश्वकर्मा योजना की घोषणा की थी। इस योजना के बारे में इस साल स्वतंत्रता दिवस पर भी पीएम मोदी ने ऐलान किया था। इस योजना में सरकार ने 13000 करोड़ रुपये का बजट तय किया है। इस योजना के लाभार्थी को एडवांस ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
पीएम विश्वकर्मा योजना का मकसद हाथों और औजारों से काम करने वाले कारीगरों के कौशल को बढ़ावा देना है। कामगारों के उत्पादों को देश के कोने-कोने तक पहुंचाना भी इस योजना का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के तहत कारीगरों के परिवार के किसी एक व्यक्ति को जोड़ा जाएगा।
जानिए क्या है पीएम विश्वकर्मा योजना
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत 5 फीसदी की ब्याज दर के साथ 1 लाख रुपये पहली किश्त, दो लाख रुपये दूसरी किश्त के तौर पर लोगों को लोन दिया जाएगा। इसके साथ ही कारीगरों को बेसिक और एडवांस ट्रेनिंग भी मुहैया कराई जाएगी। योजना के लाभार्थियों को 15,000 रुपये के टूलकिट भी मुहैया कराए जाएंगे। इसके अलावा लाभार्थियों को स्किल ट्रेनिंग दी जाएगी। इस दौरान रोजाना 500 रुपये दिए जाएंगे।
इस योजना के लिए बायोमेट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल (PM Vishwakarma portal) का इस्तेमाल करके कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से विश्वकर्माओं का फ्री रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। इस योजना के जो भी लाभार्थी होंगे। उन्हें सरकार की ओर से सर्टिफिकेट और आईडी भी मिलेगी।
इन डॉक्यूमेंट्स की होगी जरूरत
आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, व्यवसाय का प्रमाण पत्र, मोबाइल नंबर, बैंक अकाउंट नंबर की डिटेल, आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो) जैसे तमाम डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ेगी।
इन लोगों को मिलेगा पीएम विश्वकर्मा योजना का फायदा
पीएम विश्वकर्मा (PM Vishwakarma) योजना का फायदा लोहार, ताला बनाने वाले, कारपेंटर, नाव बनाने वाले, अस्त्र बनाने वाले, हथौड़ा और टूलकिट निर्माता, पारंपरिक गुड़िया और खिलौने बनाने वाले, नाई, मालाकार, धोभी, दर्जा, मछली का जाल बनाने वाले सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, मोची, राज मिस्त्री, डलिया, चटाई और झाड़ू बनाने वाले लोगों को मिलेगा। इस योजना के तहत इन 18 पारंपरिक व्यवसायों को शामिल किया गया है। भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी।