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Late Night Sleeping: देर रात तक जागने की आदत कर सकती है मेंटल हेल्थ को बर्बाद, रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा

देर रात तक जागने की आदत मेंटल हेल्थ के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकती है। Psychiatry Research जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, रात 1 बजे के बाद सोने से डिप्रेशन, एंग्जायटी, नशे की लत और आत्मघाती विचारों का खतरा बढ़ जाता है। समय पर सोने, स्क्रीन टाइम कम करने और हेल्दी रूटीन अपनाने से इससे बचा जा सकता है

अपडेटेड Feb 11, 2025 पर 7:54 PM
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Late Night Sleeping: मेंटल हेल्थ पर बुरा असर डालता है देर रात जागना

अगर आप देर रात तक जागने की आदत को सामान्य समझते हैं, तो यह सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। हाल ही में Psychiatry Research जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि रात 1 बजे के बाद सोने से मानसिक और व्यवहारिक समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। स्टैनफोर्ड मेडिसिन के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस शोध में 75,000 वयस्कों की नींद की आदतों का विश्लेषण किया गया, जिसमें ये साफ हुआ कि जो लोग देर रात तक जागते हैं, उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। रिसर्च के अनुसार, देर रात सोने वालों में डिप्रेशन, एंग्जायटी, आत्मघाती विचार और नशे की लत जैसी समस्याएं ज्यादा देखने को मिलती हैं।

इतना ही नहीं, खराब निर्णय लेने की प्रवृत्ति भी बढ़ जाती है, जिससे व्यवहार में आक्रामकता आ सकती है। यदि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखना है, तो समय पर सोने की आदत बेहद जरूरी है।

मेंटल हेल्थ पर बुरा असर डालता है देर रात जागना


रिसर्च के अनुसार, जो लोग रात 1 बजे के बाद सोते हैं, उनमें डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी मानसिक बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर का कहना है कि सबसे अधिक मानसिक नुकसान देर रात तक जागने वालों को होता है।

समझने की क्षमता कमजोर हो जाती है

खराब निर्णय लेने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे व्यक्ति तनाव, नशे की लत और हिंसक प्रवृत्तियों का शिकार हो सकता है। आत्मघाती विचार, असंतुलित खान-पान और ड्रग्स का सेवन जैसी समस्याएं ज्यादा देखने को मिलती हैं।

देर रात तक जागने से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय

अगर आप चाहते हैं कि आपकी मेंटल हेल्थ प्रभावित न हो और नींद की गुणवत्ता बेहतर बनी रहे, तो इन उपायों को अपनाएं:

नियमित समय पर सोने और जागने की आदत डालें – यहां तक कि छुट्टियों में भी एक निश्चित रूटीन बनाए रखें।

सोने से पहले डिजिटल स्क्रीन से दूरी बनाएं – मोबाइल, लैपटॉप और टीवी से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन हार्मोन को प्रभावित करती है, जिससे नींद में दिक्कत आती है।

रिलैक्सिंग रूटीन अपनाएं – सोने से पहले हल्का म्यूजिक सुनें, किताब पढ़ें या मेडिटेशन करें।

रात में भारी भोजन और कैफीन से बचें – देर रात चाय-कॉफी या ऑयली भोजन करने से नींद प्रभावित होती है।

सुबह सूरज की रोशनी लें – यह आपकी बॉडी क्लॉक को सही करने और नींद के पैटर्न को संतुलित करने में मदद करता है।

डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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