Crypto Investment: क्रिप्टो में रिस्क और रिटर्न के बीच कैसे बनाएं संतुलन, समझिए एक्सपर्ट से
Crypto Investment: क्रिप्टो मार्केट में बहुत से निवेशक जोश के साथ आते हैं और भारी नुकसान करा बैठते हैं। फिर वे दोबारा क्रिप्टो का रुख नहीं करते। एक्सपर्ट से विस्तार से जानिए कि कई निवेशकों को क्रिप्टो मार्केट में लॉस क्यों होता है और रिस्क-रिटर्न के बीच संतुलन साधने का तरीका क्या है।
Crypto Investment: सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) अब क्रिप्टो निवेशकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
Crypto Investment: क्रिप्टोकरेंसी भारत में धीरे-धीरे हाशिये की अटकलों से निकलकर मेनस्ट्रीम चर्चा का हिस्सा बन चुकी है। लेकिन, अब भी निवेशक इसे लेकर बंटे हुए है। सबसे बड़ी वजह है, क्रिप्टोकरेंसी की अस्थिरता। एक वर्ग क्रिप्टो वेल्थ क्रिएशन का अगला बड़ा मौका मान रहा है। वहीं, दूसरा ग्रुप चेतावनी दे रहा है कि इसमें हाइप अक्सर फंडामेंटल्स पर हावी हो जाता है।
आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि क्रिप्टो में इन्वेस्टमेंट कैसे करें। साथ ही, क्रिप्टो में रिस्क और रिटर्न के बीच संतुलन कैसे साध सकते हैं।
क्रिप्टो में हाइप बनाम फंडामेंटल्स
कई नए निवेशक मीम टोकन और हाइप-ड्रिवन क्रिप्टो कॉइन्स में पैसा लगा देते हैं। क्योंकि इनकी शुरुआती कीमतें कम होती हैं और तेजी से रिटर्न की संभावना रहती है। लेकिन ये अक्सर पेनी स्टॉक्स की तरह साबित होते हैं, कुछ समय की तेजी के बाद एकदम से ढह जाते हैं।
मड्रेक्स के सीईओ और को-फाउंडर एडुल पटेल ने कहा, “ऐसे निवेश लॉन्ग टर्म के नफा-नुकसान को नजरअंदाज करते हैं। इनमें अक्सर भारी नुकसान झेलना पड़ता है, जिससे निवेशकों का क्रिप्टो को लेकर सारा जोश ठंडा पड़ जाता है। ” पटेल की सलाह है कि क्रिप्टो में टिकाऊ पोर्टफोलियो बिटकॉइन, एथेरियम, सोलाना और XRP जैसे स्थापित एसेट्स के इर्द-गिर्द बनना चाहिए।
क्या हाइप-ड्रिवन निवेश एकदम गलत है?
CoinDCX के को-फाउंडर सुमित गुप्ता भी पटेल की बातों से सहमति जताते हैं। उनका कहना है, “अगर आप क्रिप्टो में फंडामेंटल देखकर निवेश करते हैं, तो अस्थिरता से निपटने में मदद मिलेगी। साथ ही, समय के साथ आपकी संपत्ति भी लगातार बढ़ सकती है।”
कॉइनस्विच के वाइस प्रेसिडेंट बालाजी श्रीहरी का मानना है कि हाइप-ड्रिवन निवेश पूरी तरह नेगेटिव नहीं है। उन्होंने कहा, “इसे वेंचर कैपिटल की तरह देखना चाहिए। कई बार शुरुआती इनोवेशन में निवेश बड़े रिटर्न ला सकता है। लेकिन, यह बात सही है कि इसमें काफी ज्यादा जोखिम रहता है। इसलिए अधिकांश निवेशकों के लिए दमदार क्रिप्टो के साथ संतुलित पोर्टफोलियो बेहतर रणनीति है।”
क्रिप्टो मार्केट की टाइमिंग भी बड़ी उलझन
क्रिप्टो का 24/7 मार्केट चलता रहता है। यहां स्टॉक मार्केट की तरह हफ्ते में दो दिन की छुट्टी और वीक-डेज में करीब 6 घंटे का काम नहीं रहता। यही वजह है कि क्रिप्टो मार्केट में कई निवेशक सही एंट्री और एग्जिट टाइम नहीं पकड़ पाते। कई निवेशक जल्दबाजी में गलत फैसले भी कर बैठते हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि एंट्री-एग्जिट वाली रणनीति शायद ही कभी सफल होती है।
पटेल के अनुसार, “अगर कोई निवेशक क्रिप्टो मार्केट में लंबे वक्त तक टिका रहता है, तो उसे अस्थिरता झेलने और भरोसा बनाने की क्षमता मिल जाती है। वहीं, री-एक्टिव ट्रेडिंग यानी घबराहट में खरीदने बेचने की आदत आमतौर पर रिटर्न घटा देती है।”
क्रिप्टो निवेशकों में पीढ़ीगत बदलाव
CoinDCX के गुप्ता ने बताया कि भारतीय क्रिप्टो निवेशकों में पीढ़ीगत बदलाव आया है। उन्होंने कहा, “पहले मार्केट में FOMO से प्रभावित युवा ट्रेडर्स हावी थे। अब औसत निवेशक 31 वर्ष का है और इक्विटी बैकग्राउंड से आता है, जिससे उसका नजरिया ज्यादा डेटा-ड्रिवन और अनुशासित है।”
वहीं, श्रीहरी का कहना है कि लो और हाई को लगातार पकड़ना लगभग नामुमकिन है। उनके अनुसार, “एक सिस्टमैटिक और लॉन्ग टर्म नजरिया शॉर्ट टर्म की अटकलों की तुलना में कहीं ज्यादा भरोसेमंद नतीजे देता है।”
क्रिप्टो में तेजी के दौर में गलतियां
मार्केट में उछाल के समय निवेशकों से अक्सर क्लासिक गलतियां होती हैं। जैसे कि किसी एक टोकन में जरूरत से ज्यादा निवेश, पोर्टफोलियो में डाइवर्सिफिकेशन की कमी और समय पर प्रॉफिट बुक न करना।
पटेल का कहना है कि सोशल मीडिया और पीयर प्रेशर इस जोखिम भरे व्यवहार को बढ़ा देते हैं। वहीं, गुप्ता ने चेताया कि कई नए निवेशक क्रिप्टो रैली के दौरान बिना फंडामेंटल्स समझे बड़ी रकम निवेश कर देते हैं। गुप्ता का कहना है कि उनकी कंपनी निवेशकों को जागरूक करके इस चीज को दुरुस्त करने की कोशिश कर रही है।
श्रीहरी ने भी आगाह किया कि हद से ज्यादा लीवरेज और लगातार प्राइस-चेकिंग निवेशकों को जल्दबाजी वाले कदम उठाने पर मजबूर करती है। उन्होंने कहा, “सुरक्षा को नजरअंदाज करना भी बड़ी गलती है। निवेशकों को हमेशा कंप्लायंट और भरोसेमंद एक्सचेंज ही चुनना चाहिए, ताकि ब्रीच से होने वाले नुकसान से बचा जा सके।”
क्रिप्टो में SIP का बढ़ता चलन
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) अब क्रिप्टो निवेशकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इनका कॉन्सेप्ट पारंपरिक SIP जैसा है, लेकिन एग्जीक्यूशन अलग है।
श्रीहरी का कहना है कि रिटर्न के अलावा क्रिप्टो SIP ट्रांसपारेंसी और डीसेंट्रलाइजेशन जैसे फायदे भी देते हैं। उन्होंने चेताया, “लेकिन जानकारी बेहद जरूरी है। म्यूचुअल फंड्स के उलट क्रिप्टो में दशकों का तजुर्बा और वाजिब नियम-कायदे नहीं है। इसलिए सूझबूझ से फैसला लेना बेहद जरूरी है।”
पोर्टफोलियो अलोकेशन: कितना सही है?
क्रिप्टो एक्सपोजर को लेकर एक्सपर्ट्स का एकमत से कहना है कि निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए। उनका मानना है कि इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा क्रिप्टो में लगाने से बचना चाहिए।
पटेल के अनुसार, “ज्यादातर रिटेल निवेशकों के लिए पोर्टफोलियो का 1-5% हिस्सा क्रिप्टो में लगाना समझदारी है।” गुप्ता की सलाह है कि निवेशक छोटे स्तर से शुरुआत करें और पहले ब्लू-चिप टोकन में निवेश करें। श्रीहरी के मुताबिक, जोखिम क्षमता के अनुसार 5% तक का अलोकेशन ठीक है, बशर्ते इसे व्यवस्थित तरीके से किया जाए ताकि कीमतों के उतार-चढ़ाव का असर कम हो।
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