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Crypto Tax Notice: क्रिप्टो इनकम पर हजारों ट्रेडर्स को टैक्स नोटिस; ITR में ऐसे करें रिपोर्ट, नहीं तो रहेगा फंसने का खतरा

Crypto Tax Notice: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने हजारों क्रिप्टो निवेशकों को नोटिस भेजे हैं, जिन्होंने ITR में इनकम सही से रिपोर्ट नहीं की। एक्सपर्ट से जानिए क्रिप्टो पर टैक्स कैसे लगता है और इसे ITR में सही तरीके से कैसे दिखा सकते हैं।

अपडेटेड Jun 30, 2025 पर 5:02 PM
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अगर आपने क्रिप्टो से कोई भी कमाई की है, तो उसे सही तरीके से ITR में दिखाएं।

Crypto Tax Notice: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने असेसमेंट ईयर 2023–24 और 2024–25 के लिए हजारों करदाताओं को नोटिस भेजे हैं, जिन्होंने अपनी क्रिप्टो इनकम को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में सही ढंग से रिपोर्ट नहीं किया था। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, यह कदम आयकर विभाग की NUDGE (Non-intrusive Usage of Data to Guide and Enable) पहल के तहत उठाया गया है। इसका मकसद टैक्सपेयर्स को स्वैच्छिक अनुपालन के लिए प्रेरित करना है, दबाव के बिना।

क्यों भेजे गए हैं ये नोटिस?

रिपोर्ट्स के अनुसार, बड़ी संख्या में टैक्सपेयर्स ने ITR में ‘Schedule VDA’ नहीं भरा या फिर क्रिप्टो से होने वाली कमाई को गलत तरीके से कैपिटल गेन, बिजनेस इनकम या गिफ्ट के रूप में दिखाया। कुछ मामलों में तो अनअकाउंटेड फंड्स से क्रिप्टो खरीदने का भी शक है, जो टैक्स चोरी या मनी लॉन्ड्रिंग के दायरे में आ सकते हैं।


Mudrex के Co-founder और CEO एडुल पटेल के अनुसार, “बिलकुल वैसे ही जैसे आप शेयर बाजार में हुई कमाई को रिपोर्ट करते हैं, उसी गंभीरता से आपको क्रिप्टो गेन भी दिखाना चाहिए।” आयकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि क्रिप्टो इनकम चाहें ट्रेडिंग, माइनिंग, एयरड्रॉप, स्टेकिंग या क्रिप्टो में मिली सैलरी से हो, इसे रिटर्न में बताना जरूरी है।

क्या कहता है कानून?

वित्त अधिनियम 2022 के तहत इनकम टैक्स एक्ट में जोड़ा गया सेक्शन 115BBH यह कहता है कि क्रिप्टो से होने वाली कमाई पर फ्लैट 30% टैक्स देना होगा, चाहे होल्डिंग पीरियड कुछ भी हो। इसमें किसी तरह की कटौती की इजाजत नहीं है, सिर्फ कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन को छोड़कर। TDS की बात करें तो हर क्रिप्टो ट्रांजैक्शन पर 1% टीडीएस (Section 194S) भी लागू होता है।

CoinDCX के Co-founder सुमित गुप्ता कहते हैं, “TDS को लेकर सख्ती जरूरी है। अगर एक्सचेंज TDS नहीं काटता या निवेशक TDS जमा नहीं करता, तो उस पर पेनल्टी या जेल तक की नौबत आ सकती है।”

गुप्ता के मुताबिक, ये नियम केवल ट्रेडिंग तक सीमित नहीं हैं। माइनिंग, स्टेकिंग, एयरड्रॉप या वेतन के रूप में क्रिप्टोकरेंसी प्राप्त करने जैसी अन्य क्रिप्टो-संबंधित गतिविधियों से होने वाली आय को भी आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करते समय रिपोर्ट करना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया को अधिक आसान बनाने के लिए अब ITR फॉर्म में क्रिप्टो रिपोर्टिंग के लिए एक अलग सेक्शन होगा।

कैसे करें क्रिप्टो इनकम को ITR में सही रिपोर्ट?

अगर आपने क्रिप्टो से कोई भी कमाई की है, तो उसे सही तरीके से ITR में दिखाएं। इसके लिए नीचे दिए स्टेप्स फॉलो करें:

  • सही ITR फॉर्म चुनें: अगर आपने क्रिप्टो को इन्वेस्टमेंट के रूप में रखा है, तो ITR-2 फॉर्म इस्तेमाल करें। लेकिन अगर ट्रेडिंग आपके रेगुलर बिजनेस का हिस्सा है, तो ITR-3 भरना होगा।
  • इनकम के सभी सोर्स दिखाएं: जैसे ट्रेडिंग, माइनिंग, एयरड्रॉप्स, स्टेकिंग या क्रिप्टो पेमेंट्स। कुछ लोग केवल खरीदी-बिक्री दिखाते हैं, लेकिन बाकी इनकम भी टैक्सेबल होती है।
  • TDS वेरिफाई करें: Form 26AS में चेक करें कि एक्सचेंज द्वारा काटा गया TDS ठीक से दिख रहा है या नहीं। गलत TDS रिपोर्टिंग से प्रोसेस में रुकावट आ सकती है।

किन प्लेटफॉर्म्स से करें ट्रेड?

आयकर अधिकारियों का कहना है कि सबसे ज्यादा मिसमैच उन यूजर्स में पाया गया है, जो विदेशी या अनरेगुलेटेड प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं। ये न तो TDS काटते हैं और न ही साफ-सुथरी ट्रांजैक्शन हिस्ट्री देते हैं।

CoinDCX के को-फाउंडर सुमित गुप्ता का कहना है, “अगर आप भारत के रेगुलेटेड एक्सचेंज का इस्तेमाल करते हैं, तो TDS ऑटोमैटिक कटता है और पूरी टैक्स रिपोर्ट आसानी से मिल जाती है, जिससे फाइलिंग आसान हो जाती है।”

क्रिप्टो इनकम पर आगे क्या?

वित्त वर्ष 2025-26 से सभी टैक्सपेयर्स को क्रिप्टो इनकम के लिए एक अलग सेक्शन ‘Schedule VDA’ में पूरी जानकारी देनी होगी। इसके जरिए टैक्सपेयर्स को कंप्लायंस में आसानी होगी और सरकार को वीडीए से जुड़ी इनकम का बेहतर डेटा मिलेगा। साथ ही, इससे क्रिप्टो ट्रेडर को ITR में इनकम दिखाने में आसानी होगी।

ITR में ‘Schedule VDA’ असल में Virtual Digital Assets (VDA) से होने वाली आय की रिपोर्टिंग के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फॉर्म में बना अलग सेक्शन है। इसमें आपको अपनी क्रिप्टो या NFT जैसी डिजिटल संपत्तियों से हुई आय को विस्तार से रिपोर्ट करना होता है। जैसे कि आपने क्या बेचा, कितने में बेचा, खरीद कीमत क्या थी, कितना टैक्स बनता है आदि।

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Suneel Kumar

Suneel Kumar

First Published: Jun 24, 2025 7:22 PM

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