Dhanteras और Diwali पर गोल्ड ज्वेलरी और गोल्ड कॉइन खरीदना शुभ माना जाता है। 282 जिलों में हॉलमार्किंग अनिवार्य होने के बाद गोल्ड ज्वेलरी खरीदना काफी आसान हो गया है। फिर, भी सवाल यह है कि क्या आपको धनतेरस और दिवाली पर गोल्ड कॉइन, गोल्ड बार या गोल्ड ज्वेलरी खरीदना चाहिए?
गोल्ड खरीदते वक्त कौन सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए? इस सवाल का जवाब जानने के लिए मनीकंट्रोल ने एक्सपर्ट्स से बात की। इनमें Popley Group के डायरेक्टर राजीव पोपली, AIGJDC के चेयरमैन आशीष पेठे और सर्टिफायड फाइनेंशियल प्लानर पूनम रूंगटा शामिल हैं।
पोपली ने कहा कि इस बार लोग ऐसी ज्वेलरी खरीदना चाहते हैं जिसे वे पहन सकें। वे लॉकर और सेफ में रखने के लिए ज्लेलरी नहीं खरीद रहे। उन्होंने कहा कि अगर गोल्ड ज्वेलरी हालमार्क्ड है तो उसे बेचना बहुत आसान है। हॉलमार्किंग में कई मानकों का ध्यान रखा जाता है। गोल्ड की कीमतें भी ट्रांसपेरेंट होती हैं। जब आप ज्वेलरी उसी ज्वेलर को बेचते हैं जिससे आपने खरीदा है तो फिर कोई दिक्कत नहीं आती है। अगर आपकी ज्वेलरी पर हॉलमार्क है तो आप उसे इंडिया में कहीं भी बेच सकते हैं। इससे यह स्पष्ट है कि आपको सिर्फ हॉलमार्क वाली ज्वेलरी खरीदना चाहिए।
पेठे ने कहा कि अगर आप उन 282 जिलों में ज्वेलरी खरीदते हैं, जहां हॉलमार्किंग अनिवार्य है तो आपको फिर बगैर हॉलमार्के वाली ज्वैलरी नहीं मिलेगी। यहां तक कि 2 ग्राम की भी अगर कोई ईयररिंग है तो उस पर हॉलमार्क होना जरूरी है। कानून में इसका उल्लेख है कि हर ज्वेलर के पास 10 गुना मैग्निफिकेशन का मैग्निफाइंग ग्लास होना जरूरी है। इसका मकसद यह है कि ग्राहक हॉलमार्क को साफ देख सके। इसके अलावा उसके पास एक चार्ट भी होना चाहिए, जिस पर अलग-अलग हॉलमार्क के बारे में बताया गया हो। फिर, उसके लिए ग्राहक को अपना रजिस्ट्रेशन नंबर भी दिखाना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि गोल्ड एक एसेट है। यह इनवेस्टर के लिए एक तरह की बचत है। यह खराब वक्त में इंश्योरेंस का काम करता है। यह आपको इनफ्लेशन के निगेटिव असर से भी बचाता है। आपके लिए गोल्ड खरीदना रियल एस्टेट में निवेश करने के मुकाबले बहुत आसान है। कई लोग शेयरों में निवेश करने से डरते हैं। लेकिन, आम आदमी का भरोसा सोने में होता है। इसकी वजह यह है कि इसके कई इस्तेमाल हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप गोल्ड ज्वेलरी खरीदते हैं तो कुछ समय बाद यह आपके लिए एसेट हो जाता है। आपने जो मेकिंग चार्ज चुकाते हैं लंबी अवधि में वह नगण्य हो जाता है।
रूंगटा की सलाह है कि आपको ज्वेलरी को निवेश के रूप में नहीं देखना चाहिए। इसकी वजह यह है कि हमारे देश में जब निवेश से पैसे निकालने की जरूरत पड़ती है तो कोई अपनी पर्सनल ज्वेलरी नहीं बेचता। इसलिए अगर आप निवेश करना चाहते हैं तो फिर आपको प्योर गोल्ड जैसे बार या ई-गोल्ड या पेपर गोल्ड खरीदना चाहिए। आपको गोल्ड को शेयर और डेट जैसे दूसरे एसेट की तरह समझना चाहिए। आपको अपने पोर्टफोलियो में कम से कम 10-15 फीसदी गोल्ड रखना चाहिए। यह प्योर गोल्ड या ईटीएप के रूप में हो सकता है।
अगर आप धनतेरस और दिवाली पर गोल्ड खरीदने जा रहे हैं तो ध्यान में रखें कि फेस्टिवल के दौरान इनकी कीमतें बढ़ जाती हैं। लेकिन, लोग पर्सनल सैटिसफैक्शन और हैपीनेस के लिए ऐसे मौकों पर गोल्ड खरीदते हैं। ऐसा करने में कोई खराबी नहीं है, लेकिन आपको ऐसा करने में सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए। गोल्ड कॉइन खरीदना समझदारी है। इसकी वजह यह नहीं है कि इसका मेकिंग चार्ज कम होता है। वजह यह है कि प्योरिटी के लिहाज से ये अच्छे होते हैं।