Digital Arrest Scam: डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध की दुनिया में एक नया तरीका बन गया है। यह अब बैंकों के लिए भी बड़ी सिरदर्दी बनता जा रहा है। हाल ही में देशभर में कई बैंक ग्राहकों ने भारी रकम गंवाने की शिकायत की है। अब नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रेड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने इस मामले में 'सेवा में कमी' को लेकर बैंकों को नोटिस भेजा है। यह जानकारी Indian Express की एक रिपोर्ट में दी गई है।
क्या है डिजिटल अरेस्ट स्कैम?
डिजिटल अरेस्ट स्कैम एक तरह की साइबर ठगी है। इसमें जालसाज खुद को सरकारी या जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं। वे पीड़ित को ड्रग्स, मनी लॉन्ड्रिंग या किसी गैरकानूनी लेनदेन से जोड़कर झूठे आरोप लगाते हैं। फिर पीड़ित को घंटों या कभी-कभी दिनों तक वीडियो कॉल पर 'हिरासत' में रखते हैं और उनसे बैंक डिटेल या पैसे मांगते हैं।
3 मार्च और 7 जुलाई को NCDRC ने कुछ पीड़ितों की याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार किया है। कमीशन ने कहा कि अगर शिकायतें 'सुनवाई योग्य' पाई गईं, तो वह फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) और गृह मंत्रालय के अंतर्गत इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) से मदद मांग सकता है।
मुंबई के एक मामले में, पीड़ित से करीब ₹5.88 करोड़ की ठगी हुई है। पीड़ितों के वकील महिंद्र लिमये ने बताया कि कमीशन ने डिजिटल अरेस्ट से जुड़े सभी बैंकों (यहां तक कि रकम पाने वाले बैंकों) को नोटिस भेजा है। अब इन मामलों में आरबीआई गाइडलाइंस के उल्लंघन और 'सेवा की कमी' की विस्तृत जांच होगी, जो बैंकिंग क्षेत्र के लिए पहली बार है।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम कैसे होता है?
1. कॉल या मैसेज से शुरुआत: आपको कोई कॉल, वॉट्सऐप मैसेज या वीडियो कॉल आता है। सामने वाला खुद को पुलिस, CBI, सरकारी अधिकारी या RBI अफसर बताता है। कई बार फर्जी आईडी या एडिटेड वीडियो दिखाए जाते हैं।
2. डराने की रणनीति: पुलिस अधिकारी बने जालसाज आपको डराने की कोशिश करते हैं। इसके लिए कुछ खास तरीके अपनाते हैं। जैसे कि आपके आधार या पैन से जुड़ा पार्सल पकड़ा गया है, आपके नाम पर केस दर्ज हुआ है या फिर आपका बेटा-बेटी कोई आपराधिक काम करते हुए पकड़ा गया है।
3. डिजिटल गिरफ्तारी: फिर आपको लगातार वीडियो कॉल पर रहने के लिए कहा जाता है। कहा जाता है कि आप अब 'डिजिटल अरेस्ट' हैं। आपको किसी से बात नहीं करने दिया जाता। धमकी दी जाती है कि अगर आप सहयोग नहीं करेंगे, तो गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
4. वसूली शुरू: साइबर अपराधी डराने के बाद पैसे वसूलना शुरू करते हैं। वे केस निपटाने या आपका नाम हटाने के लिए मोटी रकम मांगती है। ये पैसे अमूमन UPI, क्रिप्टो या गिफ्ट कार्ड्स के जरिए मंगवाते हैं।
5. इमोशनल ट्रैप: डर, शर्म और घबराहट का माहौल बना दिया जाता है। कुछ मामलों में लोग लगातार 24–48 घंटे तक कॉल पर 'डिजिटल अरेस्ट' रहते हैं और लाखों की रकम ट्रांसफर कर देते हैं।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम अब सिर्फ एक साइबर धोखाधड़ी नहीं, बल्कि बैंकिंग सिस्टम की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर रहा है। NCDRC की कार्रवाई के बाद अब पूरे मामले पर गहराई से जांच होगी। इससे भोले-भाले ग्राहकों को भी राहत मिलने की उम्मीद है, जो ऐसे फर्जी में स्कैम में फंसकर लाखों रुपये गंवा देते हैं।