सेबी ने डिजिटल गोल्ड में निवेश करने वाले निवेशकों को सावधान किया है। मार्केट रेगुलेटर ने 8 नवंबर को स्टेटमेंट इश्यू किया। इसमें उसने डिजिटल गोल्ड में निवेश के खतरों के बारे में बताया। दरअसल, पिछले कुछ समय से डिजिटल गोल्ड में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ी है। मार्केट रेगुलेटर ने कहा कि यह प्रोडक्ट किसी तरह के रेगुलेशन के तहत नहीं आता है। इस वजह से इसमें निवेश करना रिस्की है। सेबी ने निवेशकों को गोल्ड ईटीएफ जैसे प्रोडक्ट्स में निवेश करने की सलाह दी, जो पूरी तरह रेगुलेटेड हैं।
10-12 पहले हुई थी डिजिटल गोल्ड की शुरुआत
इंडिया में Digital Gold की शुरुआत करीब 10-12 साल पहले हुई थी। फिनटेक कंपनियों के मार्केट में आने से इस प्रोडक्ट को बढ़ावा मिला। आज फोनपे, पेटीएम, गूगल पे जैसे प्लेटफॉर्म्स इनवेस्टर्स को डिजिटल गोल्ड में निवेश करने की सुविधा दे रहे हैं। एमएमटीसी-पीएएमपी डिजिटल गोल्ड मार्केट की लीडर है। इसके अलावा तनिष्क जैसे कई ब्रांडेड ज्वेलर्स भी इनवेस्टर्स को डिजिटल गोल्ड में इनवेस्ट करने की सुविधा देते हैं।
10 रुपये तक के अमाउंट से कर सकते हैं निवेश
डिजिटल गोल्ड उन लोगों के लिए गोल्ड में निवेश का एक आसान विकल्प है, जो इस मेटल की कीमतों में इजाफा का फायदा उठाना चाहते हैं। फिनटेक और दूसरी कंपनियां इनवेस्टर्स को 10 रुपये तक के छोटे अमाउंट से डिजिटल गोल्ड में निवेश करने की सुविधा देती हैं। यह निवेश इलेक्ट्रॉॉनिक तरीके से होता है, जिससे कोई व्यक्ति घर बैठे अपने स्मार्टफोन से इसमें निवेश कर सकता है। इनवेस्टर्स फिनटेक के जरिए छोटे-छोटे अमाउंट के साथ निवेश कर सकता है। निवेश एक सीमा तक पहुंचने पर वह उसे रिडीम कर सकता है। ज्वेलरी कंपनियां ग्राहकों को डिजिटल गोल्ड में निवेश को ज्वेलरी के साथ एक्सचेंज करने की भी सुविधा देती हैं।
गोल्ड में उछाल से डिजिटल गोल्ड में बढ़ी दिलचस्पी
निवेशकों की डिजिटल गोल्ड में दिलचस्पी बढ़ने की कुछ खास वजहें हैं। पहला, इसमें छोटे अमाउंट से निवेश किया जा सकता है। दूसरा, गोल्ड को सुरक्षित जगह रखने की चिंता नहीं होती। तीसरा, इसमें घर बैठे निवेश किया जा सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले कुछ सालों में गोल्ड की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। इससे डिजिटल गोल्ड में निवेश में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। यूपीआई के जरिए डिजिटल गोल्ड में होने वाला निवेश इस साल जनवरी में 762 करोड़ रुपये से बढ़कर सितंबर में 1410 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
ज्यादातर इनवेस्टर्स इससे जुड़े रिस्क से अनजान
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्यादातर इनवेस्टर्स यह नहीं जानते कि डिजिटल गोल्ड किसी रेगुलेशन के तहत नहीं आता है। उन्हें इसमें निवेश से जुड़े रिस्क के बारे में भी पता नहीं है। वे इसे गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड म्यूचु्अल फंड्स और एसजीबी की तरह गोल्ड में निवेश के एक आसान विकल्प के रूप में देखते हैं। सेबी के 8 नवंबर के स्टेटमेंट के बाद डिजिटल गोल्ड के निवेशकों को इससे जुड़े रिस्क के बारे में पता चलेगा।
इनवेस्टर्स को जागरूक करना है सेबी का मकसद
सेबी के स्टेटमेंट का मकसद निवेशकों को जागरूक करना है। मार्केट रेगुलेटर का मानना है कि अगर किसी वजह से डिजिटल गोल्ड के निवेशकों को बड़ा नुकसान होता है तो सरकार उनकी मदद नहीं कर पाएगी। इसकी वजह यह है कि यह प्रोडक्ट किसी रेगुलेशन के तहत नहीं आता है।