दिवाली पर डबल धमाके की तैयारी शुरू, जानिए GST काउंसिल की बैठक में होंगे कौन-कौन से बड़े फैसले

3 और 4 सितंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक पर सबसे ज्यादा नजरें लगी हैं। इसकी वजह यह है कि इस बैठक के फैसलों से दिवाली से पहले ही बड़ा धमाका होने जा रहा है। जीएसटी काउंसिल जीएसटी 2.0 का रास्ता बनाने के लिए कई बड़े फैसले लेगी

अपडेटेड Sep 02, 2025 पर 10:14 PM
Story continues below Advertisement
GST 2.0 से देश में कंजम्प्शन को बढ़ावा मिलेगा। शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में चीजों की डिमांड बढ़ेगी।

जीएसटी काउंसिल की बैठक 3 सितंबर यानी कल से नई दिल्ली में शुरू होने जा रही है। दो दिन की यह बैठक 4 सितंबर को खत्म होगी। इस बार की जीएसटी काउंसिल की बैठक पर सबसे ज्यादा नजरें लगी हैं। इसकी वजह यह है कि इस बैठक के फैसलों से दिवाली से पहले ही बड़ा धमाका होने जा रहा है। सरकार 1 जुलाई, 2017 से लागू जीएसटी स्ट्रक्चर में सबसे बड़ा रिफॉर्म करने जा रही है। जीएसटी काउंसिल 3-4 सितंबर की बैठक में ऐसे कई फैसले लेगी जिससे जीएसटी का पूरा स्ट्रक्चर बदल जाएगा। इनमें सबसे अहम है कि अब चार की जगह जीएसटी के सिर्फ दो स्लैब रहेंगे।

चार की जगह सिर्फ दो स्लैब होंगे

सरकार सिर्फ 5 फीसदी और 18 फीसदी के स्लैब को बनाए रखेगी। 12 फीसदी और 28 फीसदी के स्लैब खत्म हो जाएंगे। जीएसटी काउंसिल के पदेन सचिव (Ex-Officio Secretary) अरविंद श्रीवास्तव ने पिछले महीने 3-4 सितंबर की बैठक के बारे में एक सर्कुलर जारी किया था। रेवेन्यू सेक्रेटरी की तरफ से जारी नोटिस के मुताबिक, इस मीटिंग के बारे में राज्यों और केंद्र सरकार के अधिकारियों की बैठक 2 सितंबर को भी हुई।


सिन प्रोडक्ट्स के लिए 40 फीसदी का स्लैब

जीएसटी काउंसिल की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीएसटी के बड़े ऐलान के करीब दो हफ्ते बाद होने जा रही है। 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को दिवाली पर डबल खुशियों का ऐलान किया था। जीएसटी काउंसिल दो स्लैब वाले स्ट्रक्चर के साथ ही 40 फीसदी के एक अतिरिक्त स्लैब के बारे में भी फैसला ले सकती है, जिसके तहत सिन पया डीमेरिट प्रोडक्ट्स जैसे तंबाकू, सिगरेट और लग्जरी गुड्स जैसे आइटम्स आएंगे।

शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में मांग बढ़ेगी

कई लोगों का मानना है कि GST 2.0 से देश में कंजम्प्शन को बढ़ावा मिलेगा। शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में चीजों की डिमांड बढ़ेगी। राजनीतिक विश्लेषक आयुश नांबियार ने कहा, "इंडिया में जीएसटी से पहले का टैक्स सिस्टम एक ट्रैवलिंग सर्कस से कम नहीं था। हर राज्य में रिंगमास्टर के अपने नियम थे। हर सीमा एक नए टिकट काउंटर की तरह थी। इस शो में कॉर्मस से ज्यादा कनफ्यूजन था।"

यह भी पढ़ें: Income Tax Return: क्या FY25 के लिए एसटीसीजी की स्थिति में सेक्शन 87ए का रिबेट मैनुअली क्लेम किया जा सकता है?

जीएसटी से टैक्स के मामले में यूनिफॉर्म रेट्स

उन्होंने कहा कि बातचीत की शुरुआत से क्रांति की शुरुआत होगी। जीएसटी के आलोचकों के लिए टैक्स का यह नया सिस्टम जटिलताओं का पिटारा था। लेकिन इसने बंटे हुए देश को एक बाजार का एक रूप, एक विजन दिया। अब भी इसमें सुधार की गुंजाइश है। इच्छा टैक्स की एक ऐसी व्यवस्था बनाने की है जिससे इंडिया की सिंगल आइडेंटिटी बन सके। इंडिया जैसे देश के लिए यह सिर्फ रिफॉर्म नहीं है बल्कि एक क्रांति से कम नहीं है। जीएसटी कलेक्शन अगस्त में साल दर साल आधार पर 6.5 फीसदी बढ़कर 1.86 लाख करोड़ रुपये रहा।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: Sep 02, 2025 10:04 PM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।