डॉलर के मुकाबले रुपया 2 दिसंबर को गिरकर 89.92 पर आ गया। करेंसी की वैल्यू में उतार-चढ़ाव आम बात है। लेकिन, रुपये में डॉलर के मुकाबले जिस तरह से कमजोरी आई है, वह इनवेस्टर्स, कंज्यूमर्स और ज्यादातर कारोबारियों के लिए अच्छी खबर नहीं है। इससे इनवेस्टर्स को निवेश पर मिलने वाला रियल रिटर्न घट सकता है। इंपोर्ट की कॉस्ट बढ़ने से चीजें महंगी हो सकती हैं। आयात पर निर्भर रहने वाले सेक्टर्स का मार्जिन घटेगा। विदेश में पढ़ाई और विदेश यात्रा की कॉस्ट बढ़ जाएगी।
