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दुबई और अबुधाबी में इनवेस्ट करने में दुनियाभर के अमीरों में होड़, जानिए क्या है वजह

एक्सपर्ट्स का कहना है कि मध्यपूर्व में निवेश में दिलचस्पी की सबसे बड़ी वजह टैक्स के नियम हैं। यूएई में कमाई पर टैक्स नहीं लगता है। इतना ही नहीं कैपिटल गेंस को भी टैक्स से छूट हासिल है। वहां इनहेरिटेंस टैक्स भी नहीं लगता है

अपडेटेड Jul 28, 2025 पर 6:22 PM
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इंडिया के नई पीढ़ी के आंत्रप्रेन्योर्स को दुबई और अबुधाबी जैसे डेस्टिनेशंस काफी पंसद आ रहे हैं।

दुनियाभर के अमीर लोगों की दिलचस्पी दुबई और अबुधाबी में निवेश करने में बढ़ी है। इनमें भारत के भी अमीर लोग शामिल हैं। खास बात यह है कि मध्यपूर्व में टेंशन की स्थिति के बावजूद लोग वहां प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं। इसे ट्रेंड में बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि पहले दुनिया के अमीर लोगों की दिलचस्पी लंदन, सिंगापुर और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में प्रॉपर्टी खरीदने में होती थी। लंदन में कई इंडियन फिल्म स्टार्स और इंडस्ट्रियलिस्ट्स ने घर खरीदे हैं।

टैक्स के आसान नियम 

एक्सपर्ट्स का कहना है कि मध्यपूर्व (Middle East) में निवेश में दिलचस्पी की सबसे बड़ी वजह टैक्स के नियम हैं। यूएई में कमाई पर टैक्स नहीं लगता है। इतना ही नहीं कैपिटल गेंस को भी टैक्स से छूट हासिल है। वहां इनहेरिटेंस टैक्स भी नहीं लगता है। इंडिया के अमीर परिवारों के लिए यह काफी अट्रैक्ट करता है कि क्योंकि इंडिया में अमीर लोगों को काफी ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता है।


ईज ऑफ डूइंग बिजनेस

दूसरी बड़ी वजह ईज ऑफ डूइंग बिजनेस है। दुबई और अबुधाबी जैसे शहरों में बिजनेस करना काफी आसान है। इंडिया में भी सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर फोकस कर रही है, लेकिन यूएई इस मामले में इंडिया से काफी आगे है। वह कंपनी रजिस्टर्ड कराने या किसी खास बिजनेस के लिए एप्रूवल हासिल करने में अफसरशाही आड़े नहीं आती है। दुबई और अबुधाबी ने ऐसे फाइनेंशियल ईकोसिस्टम बनाए हैं जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं।

गोल्डन वीजा प्रोग्राम 

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सिर्फ टैक्स के आसान नियम और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इन शहरों के निवेश अट्रैक्ट करने की बड़ी वजह नहीं हैं। यूएई का गोल्डन वीजा प्रोग्राम दुनिया के अमीर लोगों को काफी पसंद आ रहा है। इस प्रोग्राम के जरिए यूएई सरकार लंबी अवधि के लिए रेजिडेंसी ऑफर करती है। यह प्रोग्राम इनवेस्टर्स, प्रोफेशनल्स और आंत्रप्रेन्योर्स के लिए है। इंडिया में कई अमीर लोगों ने इस प्रोग्राम में दिलचस्पी दिखाई है।

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नई पीढ़ी के आंत्रप्रेन्योर्स की दिलचस्पी

इंडिया के नई पीढ़ी के आंत्रप्रेन्योर्स को दुबई और अबुधाबी जैसे डेस्टिनेशंस काफी पंसद आ रहे हैं। इंडिया के कई फैमिल ऑफिसेज भी दुबई में बेस बना रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यूएई का सरकार बिजनेस-फ्रेंडली रही है। उसका फोकस बिजनेस को बढ़ावा देने वाली पॉलिसी और जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर रहा है। मध्यपूर्व के जियोपॉलिटिकल टेंशन में उसकी दिलचस्पी नहीं रही है। उसने खुद को हमेशा न्यूट्रल बनाए रखने की कोशिश की है, जिसका फायदा उसे मिला है।

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