ज्यादा रिस्क नहीं लेने वाले इनवेस्टर्स अपने रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए EPF, VPF या PPF में निवेश शुरू कर सकते हैं। ये फिक्स्ड रिटर्न इंस्ट्रूमेंट्स हैं। लंबी अवधि में इनका रिटर्न बहुत अच्छा होता है। साथ ही इनमें इनकम टैक्स डिडक्शन का भी फायदा मिलता है।
प्राइवेट सेक्टर के एंप्लॉयीज के लिए ईपीएफ में कंट्रिब्यूशन जरूरी है। ईपीएफ को सरकार की तरफ से तय नियमों के तहत चलाया जाता है। EPFO इसका प्रबंधन करता है। इस स्कीम में एंप्लॉयी को बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा हर महीने कंट्रिब्यूट करना पड़ता है। इतना ही अमाउंट कंपनी की तरफ से एंप्लॉयी के ईपीएफ अकाउंट में कंट्रिब्यूट किया जाता है।
प्राइवेट सेक्टर के एंप्लॉयीज के फाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिए यह स्कीम शुरू की गई थी। ईपीएफ अकाउंट में जमा पैसे पर हर साल इंट्रेस्ट मिलता है। ईपीएफओ मार्केट की स्थितियों को ध्यान में रख इंटरेस्ट रेट तय करता है। फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए इंटरेस्ट रेट 8.1 फीसदी है। पिछले कुछ सालों में ईपीएफ के इंटरेस्ट रेट में कमी आई है। इसके बावजूद यह फिक्स्ड रिटर्न इंस्ट्रूमेंट में सबसे ज्यादा है।
मान लीजिए 25 साल का कोई व्यक्ति है, जिसकी बेसिक सैलरी 50,000 रुपये है। उसे 58 साल तक ईपीएफ में हर माह कंट्रिब्यूट करना पड़ेगा। हर महीने वह अपनी सैलरी का 12 फीसदी इस अकाउंट में कंट्रिब्यूट करेगा। मान लीजिए हर साल उसकी सैलरी में 5 फीसदी इजाफा होता है। इस दौरान ईपीएफ का इंट्रेस्ट रेट हम 8.5 फीसदी मान लेते हैं। उसे रिटायरमेंट पर 4,47,91,983 रुपये मिलेंगे।
VPF एक स्वैच्छिक रिटायरमेंट स्कीम है। इसका मतलब है कि इसमें निवेश करना एंप्लॉयी के लिए अनिवार्य नहीं है। प्राइवेट सेक्टर का कोई एंप्लॉयी अपनी बेसिक सैलरी के 12 फीसदी मासिक कंट्रिब्यूशन के अतिरिक्त वीपीएफ में निवेश कर सकता है। लेकिन, ईपीएफ की तरह एंप्लॉयर इसमें कंट्रिब्यूट नहीं करता है। खास बात यह है कि वीपीएफ में आपके कंट्रिब्यूशन पर मिलने वाला इंटरेस्ट रेट उतना ही है, जितना ईपीएफ का है। साथ ही एंप्लॉयी को वीपीएफ के लिए अलग अकाउंट भी ओपन नहीं करना पड़ता है। यह पैसा आपके ईपीएफ अकाउंट में ही जमा होता रहता है। आपके रिटायरमेंट पर यह पैसा आपके ईपीएफ अमाउंट के साथ मिल जाता है।
PPF सरकार की गारंटी वाली स्कीम है। नौकरी, बिजनेस या स्वरोजगार करने वाले वाला कोई व्यक्ति पीपीएफ अकाउंट ओपन कर सकता है। अकाउंट ओपन करने के लिए सरकारी या प्राइवेट एंप्लॉयी होना जरूरी नहीं है। अकाउंट ओपन करने के 15 साल बाद यह मैच्योर हो जाता है। अगर इनवेस्टर चाहे तो मैच्योरिटी के बाद भी दो बार 5-5 साल के ब्लॉक में अपने अकाउंट का पीरियड बढ़ा सकता है। कुछ खास स्थितियों में मैच्योरिटी से पहले अकाउंट में जमा पैसे का कुछ हिस्सा निकालने की इजाजत है। बैंकों की शाखाओं या पोस्टऑफिस में पीपीएफ अकाउंट खोला जा सकता है।
फाइनेंस मिनिस्ट्री हर तिमाही पीपीएफ के इंटरेस्ट रेट की समीक्षा करती है। वह मार्केट की स्थितियों को ध्यान में रख इसका इंटरेस्ट रेट तय करती है। वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही में पीपीएफ का इंट्रेस्ट रेट 7.10 फीसदी है। मान लीजिए कोई व्यक्ति हर साल पीपीएफ में 24000 रुपये का निवेश करता है। उसे यह अमाउंट 15 साल तक निवेश करना पड़ेगा। इस दौरान अगर इंटरेस्ट रेट 7.1 फीसदी मान लिया जाए तो उसे 15 साल बाद 6,50,913 रुपये मिलेंगे। इसमें उसकी तरफ से जमा किया गया टोटल अमाउंट 3,60,000 रुपये होगा, जबकि 2,90,913 रुपये उसे इंटरेस्ट के रूप में मिलेंगे।
अगर आप प्राइवेट सेक्टर के एंप्लॉयी हैं तो आप पहले से ईपीएफ में कंट्रिब्यूट कर रहे होंगे। अगर आप रिटायरमेंट के लिए बड़ा फंड तैयार करना चाहते हैं तो आप पीपीएफ अकाउंट ओपन कर सकते हैं। इसके अलावा आप वीपीएफ में हर महीने कंट्रिब्यूट करना शुरू कर सकते हैं। कंट्रिब्यूशन का अमाउंट आपकी क्षमता के हिसाब से हो सकता है।
अगर कोई व्यक्ति बिजनेस में है या स्वरोजगार में है तो वह पीपीएफ अकाउंट ओपन कर सकता है। इस अकाउंट में वह हर महीने 5 रुपये का निवेश कर सकता है। इस तरह उसका सालाना निवेश 60,000 रुपये होगा। उसे यह अमाउंट 15 साल तक इनवेस्ट करना होगा। फिर, 7.1 फीसदी इंटरेस्ट रेट के साथ उसे कुल 16,27,284 रुपये मिलेंगे। इसमें उसकी तरफ से निवेश किया गया अमाउंट 9,00000 रुपये होगा, जबकि 7,27,284 रुपये उसे बतौर इंटरेस्ट मिलेंगे।