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होटलों पर GST घटने के बाद भी नहीं सस्ता हुआ होटल में ठहरना, जानिये ग्राहकों को क्यों नहीं मिल रहा फायदा

GST: होटलों पर जीएसटी की दरें घटनेक बाद से ज्यादातर ट्रैवलर्स उम्मीद कर रहे थे कि होटल में ठहरना सस्ता हो जाएगा। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। 22 सितंबर से होटल कमरों पर जीएसटी दरें घटने के बाद यात्रियों को उम्मीद थी कि अब होटल में ठहरना सस्ता हो जाएगा

अपडेटेड Oct 07, 2025 पर 8:43 AM
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GST: होटलों पर जीएसटी की दरें घटनेक बाद से ज्यादातर ट्रैवलर्स उम्मीद कर रहे थे कि होटल में ठहरना सस्ता हो जाएगा।

GST: होटलों पर जीएसटी की दरें घटने के बाद से ज्यादातर ट्रैवलर्स उम्मीद कर रहे थे कि होटल में ठहरना सस्ता हो जाएगा। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। 22 सितंबर से होटल कमरों पर जीएसटी दरें घटने के बाद यात्रियों को उम्मीद थी कि अब होटल में ठहरना सस्ता हो जाएगा। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हुआ। कई यात्रियों ने सोशल मीडिया पर शिकायत की कि उनके होटल बिलों में कोई खास अंतर नहीं दिखा।

एक यूजर हर्षदीप रपाल ने बताया कि वह अमृतसर के एक होटल में नियमित रूप से ठहरते हैं, जहां कमरा आमतौर पर 5,500 से 6,500 रुपये प्रति रात का होता है। अब जबकि 7,500 रुपये तक के कमरों पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है, उन्होंने सोचा कि बिल कम आएगा। लेकिन उनका बिल 5,581 रुपये ही रहा। यानी, कोई फर्क नहीं पड़ा।

आखिर ऐसा क्यों हुआ?


असल में सरकार ने तो जीएसटी घटाया है, लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा बदलाव भी किया है। होटलों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का फायदा अब नहीं मिलेगा। पहले होटल और ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसियां जैसे MakeMyTrip, Goibibo आदि अपने खर्च पर दिए गए जीएसटी को आईटीसी के जरिए एडजस्ट कर लेती थीं, जिससे वे ग्राहकों को कुछ छूट दे पाती थीं।

लेकिन अब नए नियमों के तहत 5% जीएसटी स्लैब में आईटीसी की अनुमति नहीं है। यानी होटल मालिक अब बिजली, किराया, सर्विस, फर्नीचर या अन्य खर्चों पर दिया गया टैक्स वापस नहीं पा सकते। नतीजा यह हुआ कि वे वही अतिरिक्त खर्च ग्राहकों से वसूल रहे हैं, जिससे कुल बिल में कोई कमी नहीं दिख रही।

फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशंस ऑफ इंडिया (FHRAI) ने सरकार को लेटर लिखकर कहा है कि इस बदलाव से मिड-मार्केट और बजट होटल सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इनका कहना है कि अब होटल प्रोजेक्ट्स पर होने वाला जीएसटी खर्च नॉन-क्रेडिटेबल हो गया है, यानी वह टैक्स बोझ बन गया है।

FHRAI के अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार जायसवाल ने बताया कि अगर कोई होटल 1 करोड़ रुपये का रेनोवेशन करता है, तो अब उस पर 18 लाख रुपये का जीएसटी वापस नहीं मिल पाएगा, जिससे खर्च बढ़ेगा और मुनाफा घटेगा।

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बदलाव से होटल सेक्टर की ग्रोथ रुक सकती है। बजट और मिड-सेगमेंट होटल अब ज्यादा खर्च झेलेंगे, जिससे कमरों के दाम घटाने की गुंजाइश खत्म हो गई है।

एफएचआरएआई के मुताबिक भारत में घरेलू टूरिज्म फिर से तेजी से बढ़ रहा है और 2024 में घरेलू खर्च 16 लाख करोड़ रुपये पार कर गया। लेकिन अगर होटल इंडस्ट्री पर टैक्स बोझ बढ़ता गया, तो यह ग्रोथ रुक सकती है और लाखों लोगों की नौकरी पर असर पड़ सकता है।

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