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Financial Planning: फाइनेंशियल प्लानिंग में इन 4 डेटा का रखें खास ध्यान, इनके गलत होने पर पूरी प्लानिंग हो जाएगी फेल

ज्यादातर लोग लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल प्लानिंग में इक्विटी से सालाना 12 फीसदी रिटर्न का अंदाजा लगाते हैं। इनफ्लेशन 6 फीसदी मानकर चलते हैं। लाइफ एक्सपेक्टेंसी 85 साल और सालाना इनकम ग्रोथ का 10 फीसदी अनुमान लगाते हैं

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Dec 19, 2025 पर 4:10 PM
Financial Planning: फाइनेंशियल प्लानिंग में इन 4 डेटा का रखें खास ध्यान, इनके गलत होने पर पूरी प्लानिंग हो जाएगी फेल
इनफ्लेशन छोटी अवधि में ज्यादा अहम नहीं लगता है। लेकिन लंबी अवधि में इसका व्यापक असर पड़ता है।

रिटायरमेंट, चाइल्ड एजुकेशन या फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस जैसी लॉन्ग टर्म प्लानिंग में हम अक्सर कुछ डेटा दिमाग में रखते हैं। इनमें इक्विटी से रिटर्न, इनफ्लेशन, लाइफ एक्सपेक्टेंसी और इनकम में इजाफा शामिल होता है। ज्यादातर लोग इक्विटी से सालाना 12 फीसदी रिटर्न का अंदाजा लगाते हैं। इनफ्लेशन 6 फीसदी मानकर चलते हैं। लाइफ एक्सपेक्टेंसी 85 साल और सालाना इनकम ग्रोथ का 10 फीसदी अनुमान लगाते हैं।

इसमे दिक्कत यह है कि हम इसे सिर्फ अनुमान नहीं मानते हैं, बल्कि इसे निश्चित मान लेते हैं। हकीकत में इनफ्लेशन का रेट एक समान नहीं होता। मार्केट्स से हमेशा अच्छे रिटर्न की उम्मीद नहीं की जा सकती। इनकम में इजाफा अक्सर हमारे अनुमान के मुताबिक नहीं होता है। लाइफ एक्सपेक्टेंसी की बात की जाए तो हम इसे अक्सर ज्यादा महत्व नहीं देते।

अगर इनमें से किसी डेटा को लेकर अनुमान गलत होता है तो उसका असर कई दशकों तक पड़ता है। यह असर कंपाउंडिंग के रूप में होता है। हमें काफी बाद में जाकर इसके बारे में पता चलता है। इससे यह साबित होता है कि फाइनेंशियल प्लानिंग में सबसे बड़ा रिस्क मार्केट में उतार-चढ़ाव नहीं है बल्कि हमारा गलत अनुमान है।

1. इनफ्लेशन का असर

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