म्यूचुअल फंड में सिप से निवेश करने में लंबी अवधि में शानदार रिटर्न मिलता है। लेकिन, फ्रैंकलिन इंडिया एएमसी के एक फंड में सिर्फ 3 सालों में हर महीने 10,000 रुपये के निवेश से 4.27 लाख रुपये का फंड तैयार हो गया। इस फंड का नाम फ्रैंकिलन इंडिया बैलेंस्ड एडवान्टेज फंड है। इस फंड की शुरुआत सितंबर 2022 में हुई थी। अगर आपने शुरुआत से इस फंड में हर महीने 10000 रुपये का निवेश सिप से किया होता तो अगस्त 2025 में आपका निवेश बढ़कर 4.27 लाख रुपये हो गया होता।
यह फंड इक्विटी और डेट दोनों में इनवेस्ट करता है
अगर आपने सितंबर 2022 में इस फंड में एकमुश्त एक लाख रुपये का निवेश किया होता तो आपका इनवेस्टमेंट बढ़कर 1.42 लाख रुपये हो गया होता। Franklin India Balanced Advantage Fund एक हाइब्रिड स्कीम है। इसका मतलब यह है कि यह फंड अपना पैसा इक्विटी और डेट दोनों में इनवेस्ट करता है। यह ओपन-एंडेड डायनेमिक एसेट ऐलोकेशन स्कीम है। इसका एसेट अंडर मैनेजेंट (AUM) 2,700 करोड़ रुपये पार कर गया है। 29 अगस्त को इसका कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) 12.54 फीसदी था। यह इस फंड के बेंचमार्क निफ्टी 50 हाइब्रिड कंपोजिट डेट 50:50 इंडेक्स के 10.19 फीसदी सीएजीआर रिटर्न से ज्यादा है।
मिनिमम 500 रुपये से शुरु किया जा सकता है निवेश
यह फंड शेयरों में निवेश के लिए फ्लेक्सी-कैप एप्रोच का इस्तेमाल करता है। यह लार्ज, मिड और स्मॉल कैप कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है। इस फंड के मैनेजमेंट की जिम्मेदारी छह फंड मैनेजर्स पर है। इस स्कीम में हर महीने सिर्फ 500 रुपये से निवेश शुरू किया जा सकता है। एनालिस्ट्स का कहना है कि निवेश में कंपाउंडिंग का ज्यादा फायदा तभी मिलता है जब निवेश लंबी अवधि के लिए किया जाता है। हर महीने सिप के जरिए निवेश से बड़ा फंड तैयार करने के लिए निवेशकों को लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए।
फंड का पहले का रिटर्न भविष्य में अच्छे रिटर्न की गारंटी नहीं
एक्सपर्ट्स का कहना है कि किसी फंड के पहले के अच्छे रिटर्न को देखकर उसमें निवेश करना ठीक नहीं है। पहले के अच्छे रिटर्न को भविष्य में अट्रैक्टिव रिटर्न की गारंटी नहीं मानी जा सकती। निवेशकों को रिस्क लेने की अपनी क्षमता, निवेश की अवधि और निवेश के लक्ष्य को देखकर इनवेस्टमेंट का फैसला लेना चाहिए। किसी फंड में निवेश को लेकर फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह ली जा सकती है। हाइब्रिड फंड को बैलेंस्ड फंड भी कहा जाता है। इनमें इक्विटी फंडों के मुकाबले रिस्क थोड़ा कम होता है। लेकिन, इनमें भी रिस्क होता है।