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Gold में निवेश करना ठीक है, लेकिन जरूरत से ज्यादा निवेश सही नहीं है

सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद 1944 में ब्रेटन वुड्स एग्रीमेंट हुआ। तब अमेरिकी डॉलर में दुनिया के दूसरे देशों की करेंसीज की कीमत तय करने पर सहमति बनी। डॉलर की कीमत सोने पर आधारित थी। 35 डॉलर एक औंस सोने के बराबर था। इस व्यवस्था से ग्लोबल इकोनॉमी को तब स्थिरता मिली, जब उसे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 22, 2025 पर 4:12 PM
Gold में निवेश करना ठीक है, लेकिन जरूरत से ज्यादा निवेश सही नहीं है
बीते कुछ सालों में गोल्ड और अमेरिकी डॉलर के बीच दिलचस्प संबंध देखने को मिला है। जब डॉलर में कमजोरी आती है तो गोल्ड की चमक बढ़ती है।

इस साल आई जबर्दस्त तेजी की वजह से सोना चर्चा में है। 21 अक्टूबर को 5 फीसदी की गिरावट के बावजूद गोल्ड ने निवेशकों को मालामाल किया है। सवाल है कि आखिर गोल्ड में इतनी तेजी की क्या वजह है? इस सवाल का जवाब पाने के लिए हमें ग्लोबल इकोनॉमी में गोल्ड की भूमिका को समझना होगा।

1944 का ब्रेटन वुड्स एग्रीमेंट

सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद 1944 में ब्रेटन वुड्स एग्रीमेंट हुआ। तब अमेरिकी डॉलर में दुनिया के दूसरे देशों की करेंसीज की कीमत तय करने पर सहमति बनी। डॉलर की कीमत Gold पर आधारित थी। 35 डॉलर एक औंस सोने के बराबर था। इस व्यवस्था से ग्लोबल इकोनॉमी को तब स्थिरता मिली, जब उसे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। लेकिन, अमेरिकी इकोनॉमी का आकार बढ़ने पर सरकार ने ज्यादा डॉलर छापे। एक समय ऐसा आया जब कुल डॉलर का मूल्य गोल्ड रिजर्व से ज्यादा हो गया।

1960 के दशक में एक कमोडिटी के रूप में उभरा गोल्ड

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