Gold Jewellary: सोने के गहने निवेश के लिए सही नहीं? जानिए क्या कहते है एक्सपर्ट

Gold Jewellary: भारतीय परिवार आज भी सोने की ज्वैलरी को निवेश का सबसे सेफ ऑप्शन मानते हैं। लेकिन कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के एमडी संजीव प्रसाद की रिपोर्ट में आम लोगों के सोने की ज्वैलरी पर भरोसे को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है

अपडेटेड Dec 10, 2025 पर 5:25 PM
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Gold Jewellary: भारतीय परिवार आज भी सोने की ज्वैलरी को निवेश का सबसे सेफ ऑप्शन मानते हैं।

Gold Jewellary: भारतीय परिवार आज भी सोने की ज्वैलरी को निवेश का सबसे सेफ ऑप्शन मानते हैं। लेकिन कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के एमडी संजीव प्रसाद की रिपोर्ट में आम लोगों के सोने की ज्वैलरी पर भरोसे को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि अगर आप सोने के गहने, निवेश के लिए खरीद रहे हैं, तो यह सौदा नुकसान वाला साबित हो सकता है।

25–30% तक दाम बढ़ने पर ही होगा फायदा

रिपोर्ट के अनुसार गहनों पर लगने वाले मेकिंग चार्ज, डिजाइन चार्ज और कीमती पत्थरों की कीमत वजह से गहने असली सोने से काफी महंगे पड़ते हैं। इसलिए अगर आप सिर्फ निवेश के रूप में गहने खरीद रहे हैं, तो कम से कम 25–30% दाम बढ़ने के बाद ही आपकी लागत निकलती है।


यानी अभी जो गहना 1 लाख का खरीदा है, उसे बेचकर फायदा तभी होगा जब सोने का रेट करीब 1,25,000 से भी ऊपर हो जाए।

घरों का गोल्ड स्टॉक बढ़ा, लेकिन फायदा उतना नहीं

पिछले कुछ समय में सोने के दाम रिकॉर्ड स्तर तक बढ़े हैं। इससे लोगों के घर में रखा सोना भी महंगा हुआ है। लेकिन रिपोर्ट कहती है कि गहनों में जितना पैसा लगाया जाता है, उतना फायदा लोगों को वापस नहीं मिलता।

कैलकुलेशन के मुताबिक पिछले 15 साल में सोने के गहनों पर औसतन 10.3% सालाना रिटर्न मिला, जबकि सोने का भाव बढ़ा था लगभग 12.5% की दर से। यानी गहनों पर कमाई असली सोने की कीमत के मुकाबले कम रही।

किसके पास है सबसे ज्यादा सोना?

भारत में ज्यादातर सोना कम आमदनी वाले घरों के पास होता है।

मुश्किल समय के लिए रखा जाता है।

बच्चों की पढ़ाई और शादी जैसे बड़े खर्चों में इस्तेमाल होता है।

ETFs, कॉइन्स और बार्स ज़्यादा बेहतर विकल्प

एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर आपको निवेश के तौर पर सोना खरीदना है, तो ज्वेलरी के बजाय गोल्ड ETF, गोल्ड कॉइन या गोल्ड बार खरीदना ज्यादा फायदेमंद है। इनमें मेकिंग चार्ज नहीं लगता और पारदर्शिता ज्यादा होती है।

भारत के लिए खतरे की घंटी

रिपोर्ट यह भी कहती है कि अगर भारतीय लोग बड़े पैमाने पर सोने को ही निवेश मानकर खरीदते रहे, तो इससे देश का करंट अकाउंट और ट्रेड डेफिसिट (CAD) बढ़ सकता है। इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

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