इस बार गोल्ड की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर होने के बावजूद लोग अपनी गोल्ड ज्वेलरी नहीं बेच रहे। इस साल मार्च में जब गोल्ड की कीमतें पहली पार 3000 डॉलर के पार गई थीं, तब मार्केट में सेकेंड हैंड गोल्ड और कॉइन की सप्लाई बढ़ गई थी। आम तौर पर गोल्ड की कीमतें हाई पर होने पर लोग पुरानी ज्वेलरी बेचकर नई बनवाते हैं या उसके बदले पैसे ले लेते हैं। लेकिन, इस बार ऐसा नहीं हो रहा। हर हफ्ते गोल्ड ऊंचाई का नया रिकॉर्ड बना रहा है। इससे लोगों को लगता है कि गोल्ड की कीमतों में अभी और चढ़ेंगी।
लोगों को सोने की कीमतें और ऊपर जाने की उम्मीद
इस साल मार्च में गोल्ड ने पहली बार 3,000 डॉलर प्रति औंस का लेवल पार किया था। तब लोगों की दिलचस्पी अपनी पुरानी गोल्ड ज्वेलरी बेचने में दिखी थी। इससे सेकेंड हैंड गोल्ड ज्वेलरी की सप्लाई बढ़ गई थी। दिल्ली में इंडिया गोल्ड कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने आए सीजीआर मेटलएलॉयज के मैनेजिंग डायरेक्टर जेम्स जोस ने कहा, "इस बार लोगों को लग रहा है कि सोने की कीमतें और ऊपर जाएंगी। इसलिए लोग मुनाफे के लिए अपनी गोल्ड ज्वेलरी बेचने की जगह उसे अपने पास रख रहे हैं।"
18 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड में नरमी
इस हफ्ते की शुरुआत में इंडिया में गोल्ड की कीमतें 1,10,666 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई थीं। हालांकि, 18 सितंबर को गोल्ड की कीमतों में नरमी देखने को मिली। स्पॉट गोल्ड (Gold Rate Today) 0.6 फीसदी गिरकर 3,665.98 डॉलर प्रति औंस था। 17 सितंबर को गोल्ड 3,702 डॉलर प्रति औंस के ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गया था।
इस साल गोल्ड ने निवेशकों को दिया 42 फीसदी रिटर्न
सोने ने निवेशकों को इस साल 42 फीसदी रिटर्न दिया है। पिछले साल इसने 21 फीसदी रिटर्न दिया था। कोलकाता के जेजे गोल्ड हाउस के हर्षद अजमेरा ने कहा, "पुराने गोल्ड की सप्लाई तब बढ़ जाती है जब इसकी कीमतें बहुत कम समय में काफी ज्यादा चढ़ जाती हैं। पिछले कुछ महीनों में ऐसा देखने को मिला था।" इस साल अप्रैल में गोल्ड 3500 डॉलर प्रति औंस पहुंच गया था। उसके बाद इसमें गिरावट देखने को मिली थी।
पुराने गोल्ड की सप्लाई घटने से बैंकों की हुई चांदी
पुणे के पीएन गाडगिल एंड संस के चीफ एग्जिक्यूटिव अमित मोडक ने कहा कि सोने की कीमतों में उछाल से कई लोगों के लिए नई ज्वेलरी खरीदना मुश्किल हो गया है। लेकिन, लोग ज्वेलर्स के यहां अपनी पुरानी गोल्ड ज्वेलरी देकर नई ले रहे हैं। अमजेरा ने कहा कि रिफाइनर्स पुरानी ज्वेलरी का इस्तेमाल गोल्ड की सप्लाई जारी रखने के लिए कर रहे हैं, क्योंकि डोर (dore) के इंपोर्ट में तेज गिरावट आई है। त्योहारों से पहले पुरानी ज्वेलरी की कम सप्लाई से बैंकों की चांदी हो गई है। आम तौर पर ज्वेलर्स गोल्ड की मांग आयातित गोल्ड से पूरी करते हैं। इसके लिए वे बैंकों के पास जाते हैं।
अगस्त में गोल्ड का आयात 37 फीसदी बढ़ा
अगले महीने धनतेरस और दिवाली जैसे बड़े त्योहार हैं। भारत में इन दोनों मौकों पर गोल्ड खरीदना शुभ माना जाता है। मुंबई एक ज्वेलर ने कहा कि गोल्ड की कीमतें बढ़ने पर प्राइस में काफी डिस्काउंट मिलता है, क्योंकि पुरानी ज्वेलरी की सप्लाई मार्केट में बढ़ जाती है। लेकिन, पुरानी ज्वेलरी की सप्लाई सीमित होने से बैंक कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर होने के बावजूद 1 डॉलर का प्रीमियम मांग रहे हैं। सरकार के डेटा के मुताबिक, अगस्त में इंडिया में गोल्ड का आयात एक महीना पहले के मुकाबले 37 फीसदी बढ़कर 5.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया।