Credit Cards

Gold Price: 2025 की पहली छमाही गोल्ड के नाम, 26 नए ऑल-टाइम हाई बनाए; क्या आगे भी बढ़ेगा भाव?

Gold Price: 2025 की पहली छमाही में गोल्ड ने 26 नए ऑल-टाइम हाई बनाए। इसने निवेशकों को जोरदार रिटर्न भी दिया। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने सोने की कीमतों में तेजी की वजह और आगे का रुख बताया है। साथ ही, यह भी जानिए गोल्ड में निवेश करने के 4 सबसे बेहतरीन रास्ते कौन से हैं।

अपडेटेड Jul 20, 2025 पर 5:07 PM
Story continues below Advertisement
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, सोने की कीमतों में अभी और तेजी आ सकती है।

Gold Price: गोल्ड ने 2025 में रिटर्न देने के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। यह 2025 की पहली छमाही में प्रमुख एसेट क्लासेज में टॉप पर रहा। इसमें 26 प्रतिशत की जबरदस्त तेजी देखी गई। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार, इस अवधि में सोने ने वैश्विक स्तर पर 26 नए ऑल-टाइम हाई बनाए। वहीं, पिछले साल गोल्ड ने 40 रिकॉर्ड तोड़े थे।

WGC ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कमजोर अमेरिकी डॉलर, सीमित ब्याज दरें और अनिश्चित भू-आर्थिक माहौल की वजह से निवेश मांग में मजबूती आई है।

दूसरी छमाही में क्या रहेगा रुख?


WGC के अनुमान के अनुसार, अगर बाजार का मौजूदा सेंटीमेंट बना रहता है, तो सोना 0 से 5 प्रतिशत की अतिरिक्त बढ़त दर्ज कर सकता है। हालांकि, रिपोर्ट यह भी चेतावनी देती है कि इकोनॉमी हमेशा आम राय के हिसाब से प्रदर्शन नहीं करती। इसलिए सजग रहने की भी जरूरत है।

अगर वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां और अधिक बिगड़ती हैं, तो सोने को फायदा मिल सकता है। खासकर, स्टैगफ्लेशन और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने की स्थिति में। इससे सोने का दाम 10 से 15 प्रतिशत तक और बढ़ सकती हैं।

दूसरी ओर, अगर स्थायी रूप से वैश्विक तनावों का हल निकलता है, जैसे कि टैरिफ वॉर और पश्चिम एशिया में तनाव, तो निवेश के लिए सोने की डिमांड कमजोर पड़ सकती है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्थिति में गोल्ड की कीमतों में 12 से 17 प्रतिशत गिरावट आ सकती है।

निवेशकों को क्या करना चाहिए

एक्सपर्ट की सलाह है कि पोर्टफोलियो का 5 से 10 प्रतिशत हिस्सा ही कीमती धातुओं में लगाया जाए। इससे पोर्टफोलियो में संतुलन बना रहता है। अगर आप गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं, तो इसके कुछ अहम विकल्प हैं।

1. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB)

2015 से अब तक RBI ने 67 SGB सीरीज लॉन्च की हैं। इनमें 14.7 करोड़ यूनिट जारी की गई हैं। ये BSE और NSE के कैश सेगमेंट में ट्रेड होते हैं और डीमैट अकाउंट से खरीदे-बेचे जा सकते हैं। हालांकि, नए बॉन्ड की लॉन्चिंग नहीं हो रही। ये आठ साल की अवधि वाले बॉन्ड होते हैं। इनमें पांच साल का लॉक-इन होता है। RBI पांचवें, छठे और सातवें वर्ष में बायबैक की सुविधा भी देता है।

2. गोल्ड ETF

गोल्ड ETF का मकसद घरेलू भौतिक सोने की कीमत को ट्रैक करना है। एक यूनिट एक ग्राम सोने के बराबर होती है। इसे हाई क्वालिटी के फिजिकल गोल्ड का सपोर्ट होता है। ETF में डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है। इसमें ब्रोकरेज और मामूली एक्सपेंस रेशियो होता है, जो फिजिकल गोल्ड की मेकिंग कॉस्ट से कम होता है।

3. गोल्ड म्यूचुअल फंड

ये फंड गोल्ड ETF में निवेश करते हैं और NAV के रूप में कीमत दिखाते हैं। इन्हें डीमैट अकाउंट के बगैर भी खरीदा जा सकता है। इनमें न्यूनतम निवेश सीमा कम होती है। हालांकि, ETF की तुलना में इनका खर्च अनुपात अधिक (1–2%) हो सकता है।

4. फिजिकल गोल्ड

फिजिकल गोल्ड यानी सोने के गहने जेवरात या बार भारतीय निवेशकों की पारंपरिक पसंदीदा विकल्प हैं। इसके बावजूद फिजिकल गोल्ड में कई चुनौतियां होती हैं। जैसे कि सोना रखना, शुद्ध गहने की पहचान करना और लिक्विडिटी। निवेश के नजरिए से इसकी तुलना में गोल्ड ETF और म्यूचुअल फंड ज्यादा सुविधाजनक और पारदर्शी विकल्प माने जाते हैं।

यह भी पढ़ें : FD vs SIP: ₹10 लाख की FD या ₹5 हजार की SIP, कौन आपको पहले बनाएगा करोड़पति?

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।