Gold Rate: सोने की कीमतें एक बार फिर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। साल 2025 में सोना लगातार महंगा हुआ है और इसकी कीमतें 60% से ज्यादा बढ़ चुकी हैं। भारत में 10 ग्राम 24 कैरेट सोना 1,20,000 रुपये के स्तर को पार कर गया है। ऐसे में ज्यादातर निवेशकों के मन में यही सवाल है कि सोना बेचकर प्रॉफिट बुक करके निकल जाएं या इंतजार करें? या फिर इस भाव पर भी सोने में खरीदारी जारी रखें? जानिये क्या है एक्सपर्ट की राय।
क्यों बढ़ रही हैं सोने की कीमतें
सोने में तेजी वैसी ही है जैसी 2008 की आर्थिक मंदी और 2020 की कोरोना महामारी के समय देखी गई थी। हर बार जब दुनिया में अनिश्चितता बढ़ती है जैसे वार, आर्थिक संकट या ब्याज दरों में बदलाव, तो निवेशक फिर से सोने की तरफ रुख करते हैं। अब सोने का भाव क्यों
केंद्रीय बैंकों की खरीदारी: वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 10 सालों में दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने अपने सोने के भंडार को लगभग दोगुना कर लिया है। भारत ने भी अपनी गोल्ड रिजर्व में बढ़ोतरी की है, जिससे यह साफ है कि सोना अब भी एक भरोसेमंद वैश्विक एसेट्स माना जा रहा है।
अमेरिका की ब्याज दरों में कटौती: अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने सितंबर 2025 में 0.25% की दर से ब्याज घटाई थी। ब्याज दरों में कमी से डॉलर कमजोर होता है और सोने की मांग बढ़ती है क्योंकि निवेशक सुरक्षित निवेश की तलाश में रहते हैं।
भू-राजनीतिक तनाव: रूस-यूक्रेन वार, मध्य पूर्व में अस्थिरता और दुनिया भर में आर्थिक असंतुलन ने बाजारों में डर बढ़ा दिया है, जिससे निवेशक फिर से सोने की ओर लौटे हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 3,977 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई, जो करीब 4,000 डॉलर के नए रिकॉर्ड स्तर के आसपास है। वहीं भारत में रुपये की कमजोरी के कारण सोने के दाम और बढ़ गए हैं। चूंकि सोना डॉलर में खरीदा जाता है, इसलिए रुपये के कमजोर होने पर इसकी लोकल कीमत अपने आप ऊपर चली जाती है। पिछले 30 सालों में सोने ने रुपये के हिसाब से औसतन 11% सालाना रिटर्न दिया है, जबकि डॉलर के आधार पर यह रिटर्न करीब 7.6% रहा है।
हालांकि ऊंची कीमतों के कारण ज्वेलरी खरीदारी थोड़ी धीमी हुई है, लेकिन गोल्ड ETF और डिजिटल गोल्ड में निवेश बढ़ रहा है। टाटा म्यूचुअल फंड की अक्टूबर 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, अगले कुछ महीनों में सोने की कीमतें 3,500–4,000 डॉलर प्रति औंस के बीच स्थिर रह सकती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका की नीतियों, व्यापार विवादों और भू-राजनीतिक तनावों के चलते निवेशकों को सोने में निवेश बनाए रखना चाहिए। रिपोर्ट यह भी सुझाव देती है कि निवेशक अपने पोर्टफोलियो में सोना और चांदी का 50:50 रेशो रख सकते हैं, क्योंकि चांदी भी इस साल मजबूत प्रदर्शन कर रही है।