Gold Price: बजट से पहले सोना तोड़ रहा सारे रिकॉर्ड, कीमत एक बार फिर ₹83000 के पार; आगे कैसी रह सकती है चाल

Gold Rate: सोने की वैश्विक कीमतों की दिशा काफी हद तक नीतिगत बदलावों, महंगाई के आंकड़ों और भू-राजनीतिक घटनाक्रमों पर निर्भर करेगी। भू-राजनीतिक जोखिम, विशेष रूप से टैरिफ संबंधी चिंताएं, बाजार को प्रभावित करना जारी रखती हैं। मजबूत हाजिर मांग के कारण सटोरियों की ओर से सौदे बढ़ाए जाने के चलते गोल्ड फ्यूचर भी रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया

अपडेटेड Jan 30, 2025 पर 4:30 PM
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एनालिस्ट्स का मानना है कि निवेशक सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने में निवेश को वरीयता दे रहे हैं।

Gold Rate Today: बजट 2025 पेश होने से पहले 30 जनवरी को दिल्ली और मुंबई में 24 कैरेट गोल्ड की कीमत ने एक बार फिर 83000 रुपये प्रति 10 ग्राम का लेवल क्रॉस किया। वहीं 22 कैरेट का भाव 76000 रुपये प्रति 10 ग्राम के लेवल के पार चला गया। इससे पहले 29 जनवरी को बंपर खरीद के चलते दिल्ली के सराफा बाजार में 24 कैरेट गोल्ड की कीमत 910 रुपये चढ़कर 83,750 रुपये प्रति 10 ग्राम के अब तक के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गई थी।

99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना यानि कि 22 कैरेट का भाव भी 910 रुपये बढ़कर 83,350 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया था। इससे पहले 24 जनवरी को भी दिल्ली के सराफा बाजार में सोने की कीमतों ने 83,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार किया था। 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 83,100 रुपये प्रति 10 ग्राम और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 82,700 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया था।

गोल्ड फ्यूचर भी नए ऑल टाइम हाई पर


वायदा कारोबार की बात करें तो 30 जनवरी को दिन में मजबूत हाजिर मांग के कारण सटोरियों की ओर से सौदे बढ़ाए जाने के चलते गोल्ड फ्यूचर भी रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में अप्रैल डिलीवरी वाले सोने का कॉन्ट्रैक्ट 214 रुपये बढ़कर 81,088 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। वैश्विक स्तर पर न्यूयॉर्क में गोल्ड फ्यूचर का भाव 0.09 प्रतिशत बढ़कर 2,761.71 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया।

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क्यों चढ़ रहा सोना

एनालिस्ट्स का मानना है कि निवेशक सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने में निवेश को वरीयता दे रहे हैं। इसके पीछे अहम कारण है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लागू किए जा सकने वाले नए हाई टैरिफ और अन्य नीतियों से उपजी अनिश्चितता। बाजार का ध्यान अब अमेरिकी पर्सनल कंजंप्शन एक्सपेंडिचर (PCE) प्राइस इंडेक्स की रिपोर्ट पर है। यह शुक्रवार को जारी की जाएगी।

आगे के लिए कैसा है गोल्ड का आउटलुक

अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने जनवरी की मीटिंग में बेंचमार्क ब्याज दरों को 4.25-4.5% पर ही स्थिर रखा है। इस फैसले के बाद सोने का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने संकेत दिया कि महंगाई और नौकरियों के आंकड़ों में स्पष्ट रुझान आने तक दरों में कटौती को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं की जाएगी। बता दें कि उच्च ब्याज दरों से बॉन्ड्स पर यील्ड बढ़ती है और यह सोने की अपील को कम करती है। वहीं ब्याज दरों में कटौती से बॉन्ड कम आकर्षक हो जाते हैं, लिहाजा निवेशक गोल्ड की ओर रुख करते हैं।

एएनजेड की कमोडिटी स्ट्रैटेजिस्ट सोनी कुमारी का मानना है कि सोने की कीमतों को 2,900 या 3,000 डॉलर के स्तर तक ले जाने के लिए निवेश मांग में बढ़ोतरी होनी चाहिए। सोने की वैश्विक कीमतों की दिशा काफी हद तक नीतिगत बदलावों, महंगाई के आंकड़ों और भू-राजनीतिक घटनाक्रमों पर निर्भर करेगी। भू-राजनीतिक जोखिम, विशेष रूप से टैरिफ संबंधी चिंताएं, बाजार को प्रभावित करना जारी रखती हैं।

व्हाइट हाउस ने हाल ही में मैक्सिको और कनाडा पर भारी टैरिफ लगाने का अपना प्लान दोहराया है, जबकि चीन पर टैरिफ को लेकर फैसला होना अभी बाकी है। इन घटनाक्रमों के कारण अमेरिका में सोने की डिलीवरी में वृद्धि हुई है, क्योंकि निवेशक टैरिफ अनिश्चितताओं के बीच सेफ हैवन की तलाश कर रहे हैं। भारत के अंदर सोने की कीमतें तय करने में डॉमेस्टिक फैक्टर्स के साथ-साथ ग्लोबल फैक्टर्स का भी अहम रोल रहता है।

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First Published: Jan 30, 2025 3:56 PM

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