8th Pay Commission: केंद्र सरकार के 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन को मंजूरी देने के बाद कर्मचारियों को राहत मिली है। मोदी सरकार की मंजूरी के बाद तय है कि अगले साल जनवरी 2026 से केंद्रीय कर्मचारियों को सैलरी 8वें वेतन आयोग के तहत मिलेगी। 8वें वेतन आयोग में सैलरी 10 से 30 फीसदी तक बढा सकती है। ऐसी भी खबरें आ रही है कि सैलरी में 186 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग के अनुसार 8वें वेतन आयोग फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) का फैसला 1 जनवरी 2026 को लागू महंगाई भत्ते (DA) और बेसिक सैलरी के आधार पर तय किया जाएगा। फिटमेंट फैक्टर के आधार पर ही बेसिक सैलरी तय की जाती है। इसी के आधार पर आठवें वेतन आयोग के तहत मिलने वाली सैलरी तय होगी।
फिटमेंट फैक्टर कितना होगा?
7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 रखा गया था। सातवें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये से 18,000 रुपये कर दिया गया। वहीं, 8वें वेतन आयोग में इसे बढ़ाकर 2.86 तक किया जा सकता है। इसके तहत न्यूतम बेसिक सैलरी 51,480 रुपये हो सकती है। हालांकि, ज्यादातर एक्सपर्ट का मानना है कि सैलरी में 10 से 30 फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है, न कि 186 फीसदी।
1 जुलाई 2024 तक महंगाई भत्ता 53 प्रतिशत था। साल 2025 में महंगाई भत्ता 2 बार बढ़ाया जाएगा। पहला महंगाई भत्ता 1 जनवरी 2025 और दूसरा 1 जुलाई 2025 में बढेगा। इसका ऐलान चाहे कभी हो लेकिन ये लागू इन्हीं डेट्स से माना जाएगा। साल 2025 में 2 बार महंगाई भत्ता बढ़ेगा, तो ये 7 फीसदी तक बढ़ सकता है। अभी महंगाई भत्ता 53 फीसदी है। इस साल ये 7 फीसदी तक बढ़ेगा, तो ये बढ़कर 60 फीसदी हो जाएगा। 31 दिसंबर 2025 तक महंगाई भत्ता 60 फीसदी होगा।
8वें वेतन आयोग का सरकार ने किया ऐलान
16 जनवरी 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दी। सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि नया वेतन आयोग 2025 में गठित होगा, जिससे 2026 से सिफारिशों को लागू किया जा सके।
7वें वेतन आयोग कब खत्म होगा?
7वां वेतन आयोग 31 दिसंबर 2025 को खत्म हो समाप्त होगी। इसे 2016 में लागू किया गया था और 10 सालों के पीरियड के लिए तय किया गया था। अब 8वां वेतन आयोग 2026 से लागू होने की संभावना है।
पेंशनर्स को भी होगा फायदा
केंद्रीय सरकारी पेंशनर्स को भी जनवरी 2026 से अधिक पेंशन मिलने लगेगी। सरकार हर 10 साल में नया वेतन आयोग गठित करती है, ताकि कर्मचारियों और पेंशनर्स को समय-समय पर वेतन और भत्तों में राहत मिल सके।