गोल्ड में 9 जून को गिरावट देखने को मिली। इसकी वजह अमेरिका-चीन में टरिफ को लेकर समझौता होने की उम्मीद है। इस समझौते के बाद गोल्ड की चमक घटने के आसार हैं। देश और विदेश दोनों में गोल्ड की कीमतों पर दबाव देखने को मिला। अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड 0.1 फीसदी गिरकर 3,310.68 डॉलर प्रति औंस पर चल रहा था। यूएस गोल्ड फ्यूचर्स 0.5 फीसदी की गिरावट के साथ 3,330.10 प्रति औंस पर था। इधर, इंडिया में भी गोल्ड फ्यूचर्स पर दबाव देखने को मिला। कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में गोल्ड फ्यूचर्स 516 रुपये यानी 0.53 फीसदी गिरकर 96,520 रुपये प्रति 10 ग्राम पर चल रहा था।
अमेरिका-चीन में समझौते पर निर्भर करेगी सोने की चाल
अमेरिकी सरकार के टॉप तीन अफसरों की मीटिंग 9 जून को चीन के अधिकारियों से होने वाली है। इसमें दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर बातचीत होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अप्रैल में रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान करने के बाद से ग्लोबल इकोनॉमी में अनिश्चितता की स्थिति बनी थी। स्टॉक मार्केट्स में गिरावट आई थी। लेकिन, Gold की चमक बढ़ी थी। इसकी वजह यह है कि सोने को निवेश का सबसे सुरक्षित जरिया माना जाता है। जब कभी दुनिया में उथलपुथल बढ़ती है तो सोने की डिमांड बढ़ जाती है।
सोने पर फिलहाल जारी रह सकता है दबाव
OANDA के सीनियर मार्केट एनालिस्ट (एशिया-पैसेफिक) केल्विन वोंग ने कहा, "अमेरिका और चीन के बीच बातचीत के नतीजे निकलने से पहले शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स एग्रेसिव लॉन्ग टर्म पोजीशंस नहीं लेना चाहते।" उधर, रायटर्स के टेक्निकल एनालिस्ट वांग ताओ ने कहा कि सोना 3,296 डॉलर के सपोर्ट लेवल को टेस्ट कर सकता है। अगर यह इस लेवल को तोड़ देता है तो फिर यह 3,262 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है। अमेरिका में जॉब्स के डेटा उम्मीद से बेहतर रहने का असर भी सोने पर पड़ा है।
इंडिया में 96,720-96,390 रुपये पर गोल्ड के लिए सपोर्ट
मेहता इक्विटीज में वीपी राहुल कलांतरी ने कहा कि इंडिया में गोल्ड को 97,350-97,640 रुपये प्रति 10 ग्राम पर रेसिस्टेंस का सामना करना पड़ेगा। गिरावट की स्थिति में सोने को 96,720-96,390 रुपये प्रति 10 ग्राम पर सपोर्ट मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी इकोनॉमी के उम्मीद से बेहतर डेटा, डॉलर में मजबूती और अमेरिका-चीन में टैरिफ को लेकर समझौता होने की उम्मीद से बीते हफ्ते गोल्ड पर दबाव देखने को मिला। अब गोल्ड इनवेस्टर्स की नजरें 11 जून को अमेरिका में रिटेल इनफ्लेशन के डेटा पर लगी हैं।
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगले कुछ सत्रों में गोल्ड की कीमतें सीमित दायरे में रह सकती हैं। रिटेल इनवेस्टर्स को गोल्ड में शॉर्ट टर्म में होने वाले उतारचढ़ाव पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए। इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में गोल्ड शामिल होना जरूरी है। पोर्टफोलियो का 10-15 फीसदी गोल्ड में हो सकता है। अगर आपके पोर्टफोलियो में गोल्ड नहीं है या काफी कम है तो आप गोल्ड की कीमतों में गिरावट का इस्तेमाल इसमें निवेश बढ़ाने के लिए कर सकते हैं। मीडियम और लॉन्ग टर्म में गोल्ड का आउटलुक पॉजिटव है। इस साल इंडिया में गोल्ड 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के लेवल को पार कर सकता है।