टैक्सपेयर्स के लिए खुशखबरी! रिफंड में नहीं होगी देरी, TDS-इंटरेस्ट कैलकुलेशन में गलती जल्द हो जाएगी ठीक

Income Tax: टैक्सपेयर्स के लिए अच्छी खबर है। अब उन्हें TDS, ब्याज कैलकुलेशन या दूसरी छोटी गड़बड़ियों तुरंत ठीक हो जाया करेंगी। टैक्स रिफंड मिलने में भी देरी नहीं होगी। अक्सर टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स रिटर्न भरने के बाद गलत टैक्स डिमांड नोटिस या रिफंड में देरी जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता था

अपडेटेड Nov 10, 2025 पर 11:16 AM
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Income Tax: TDS, ब्याज कैलकुलेशन या दूसरी छोटी गड़बड़ियों तुरंत ठीक हो जाया करेंगी।

Income Tax: टैक्सपेयर्स के लिए अच्छी खबर है। अब उन्हें TDS, ब्याज कैलकुलेशन या दूसरी छोटी गड़बड़ियों तुरंत ठीक हो जाया करेंगी। टैक्स रिफंड मिलने में भी देरी नहीं होगी। अक्सर टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स रिटर्न भरने के बाद गलत टैक्स डिमांड नोटिस या रिफंड में देरी जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इन मामलों में सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि छोटी-छोटी ऐसे गलतियां जिन्हें सुधारने में कई महीने लग जाते हैं। कई बार इसका कारण मूल्यांकन अधिकारी (AO) और सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (CPC) के बीच फाइलों का लंबा आदान-प्रदान होता है।

अब केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इस पूरी प्रक्रिया को आसान और तेज बना दिया है। 27 अक्टूबर 2025 को जारी अधिसूचना के तहत बेंगलुरु स्थित इनकम टैक्स आयुक्त (CPC) को खास अधिकार दिए गए हैं। इसके बाद अब CPC को यह अधिकार मिल गया है कि वह सीधे उन सभी कैलकुलेटिव या अकाउंटिंग संबंधी गलतियों को ठीक कर सके, जिनके लिए पहले AO की इजाजत जरूरी होती थी।

पहले यदि TDS या TCS मिसमैच, एडवांस टैक्स (Advance Tax) में गड़बड़ी या धारा 244A के तहत ब्याज का गलत कैलकुलेशन जैसी कोई त्रुटि होती थी, तो टैक्सपेयर्स को AO के ऑफिस के कई चक्कर लगाने पड़ते थे। AO फाइल को सीपीसी भेजता और फिर सीपीसी AO से क्लैरिफिकेशन मांगता। इस प्रोसेस में कई बार 2 से 6 महीने तक लग जाते थे। नए नियम के तहत अब CPC खुद ही ऐसे मामलों में सुधार कर सकेगा।

ये गलतियां जल्द हो जाएंगी ठीक

TDS या TCS का गलत कैलकुलेशन


एडवांस या सेल्फ-असेसमेंट टैक्स की अनदेखी।

पहले जारी रिफंड में गलती।

ब्याज का गलत कैलकुलेशन

टैक्स या रिफंड के अमाउंट में गड़बड़ होना।

जरूरत पड़ने पर CPC अब सीधे धारा 156 के तहत संशोधित डिमांड नोटिस भी जारी कर सकेगा।

अकाउंटेंट्स के मुताबिक यह बदलाव टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत है। पहले जिन सुधारों में महीनों लगते थे, अब वह कुछ ही दिनों में पूरे हो सकते हैं। इससे टैक्स डिमांड की गलतियों और रिफंड की देरी दोनों में तेजी से सुधार होगा। इस कदम से इनकम टैक्स विभाग का डिजिटल प्रोसेसिंग सिस्टम और मजूबत होगा। टैक्सपेयर्स को बार-बार विभाग के चक्कर नहीं लगाने होंगे। कुल मिलाकर यह फैसला टैक्स प्रशासन को और ट्रांसपेरेंट बनाएगा।

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