वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगों के लिए यूनियन बजट 2023 (Budget 2023) में बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने लीव इनकैशमेंट (Leave Encashment) पर मिलने वाले अमाउंट की टैक्स एग्जेम्प्शन लिमिट बढ़ा दी है। इसका फायदा प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले करोड़ों लोगों को मिलेगा। कंपनियां अपने एप्लॉयीज को हर साल कुछ लीव (Leave) देती हैं। रिटायरमेंट या नौकरी से इस्तीफा देने पर बची हुई लीव के एवज में एंप्लॉयी को पैसा मिलता है। इसे लीव इनकैशमेंट कहते हैं। आइए जानते हैं इस मामले में यूनियन बजट 2023 से पहले टैक्स का क्या नियम था और अब नियम में क्या बदलवा आया है।
वित्तमंत्री ने क्या ऐलान बजट 2023 में किया?
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा, "नॉन-गवर्नमेंट एप्लॉयीज के रिटायरमेंट पर लीव इनकैशमेंट के लिए 3 लाख रुपये की टैक्स-फ्री लिमिट साल 2002 में तय हुई थी। तब सरकारी नौकरी में सबसे ज्यादा बेसिक पे प्रति माह 30,000 रुपये था। गवर्नमेंट सैलरी में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए मैं इस लिमिट को बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का प्रस्ताव पेश करती हूं।"
लेबर कानूनों के तहत हर एंप्लॉयी को साल में कुछ पेड लीव लेने की इजाजत है। इस्तेमाल नहीं की गई लीव को एंप्लॉयी के कंपनी से रिटायर होने या इस्तीफे तक कैरी-फॉरवर्ड करने की सुविधा मिलती है। एप्लॉयी के लिए नौकरी के दौरान भी लीव इनकैश कराने का विकल्प है। लेकिन, इससे मिलने वाला पैसे पर टैक्स लगता है। सैलरी का हिस्सा मानते हुए इस पर टैक्स लगाया जाता है।
इस्तीफा या रिटायरमेंट पर लीव इनकैशमेंट पर एग्जेम्प्शन का कैलकुलेशन:
इनकम टैक्स के सेक्शन 10 (10AA) के तहत केंद्र या राज्य सरकार के एंप्लॉयीज को रिटायरमेंट के वक्त लीव इनकैशमेंट पर मिलने वाला पूरा पैसा टैक्स-फ्री होता है।
B. सरकारी एंप्लॉयीज को छोड़ दूसरों के लिए
दूसरे एंप्लॉयीज के लिए यर पैसा सिर्फ 3 लाख रुपये तक टैक्स-फ्री है। यूनियन बजट 2023 में इस लिमिट को बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10(10AA) में एग्जेम्प्शन की वैल्यू के कैलकुलेशन का तरीका बताया गया है:
दिया गया एग्जेम्प्शन निम्निलिखित में से जो सबसे कम है वह लागू होगा:
(I) एंप्लॉयी को असल में मिलने वाला लीव इनकैशमेंट, या
(II) 10 महीने की औसत सैलरी, या
(III) नौकरी के सालों में हर साल के लिए मैक्सिमम 30 दिन की लीव के अधार पर कैलकुलेट किया गया और इस्तेमाल नहीं किए गए लीव के बराबर कैश, या
(IV) अभी 3 लाख रुपये (बजट में बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का प्रस्ताव)
एग्जेम्प्शन के लिए सैलरी में बेसिक सैलरी, डियरनेस अलाउन्स और कमीशन (सिर्फ तब जब सैलरी टर्नओवर के फीसदी के रूप में तय है) शामिल है।
लीव इनकैशमेंट की टैक्स-फ्री लिमिट को बढ़ाने का कदम स्वागतयोग्य है, क्योंकि 3 लाख रुपये का अमाउंट साल 2002 में तय किया गया था। पिछले 20 साल में इनफ्लेशन को देखते हुए यह अच्छा कदम है। इससे सैलरीड टैक्सपेयर्स को अपनी रिटायरमेंट की प्लानिंग करने में मदद मिलेगी।
(अभिषेक अनेजा सीए हैं। वह टैक्स मामलों के विषेशज्ञ हैं)