HDFC Bank ने घटाया MCLR, सस्ता होगा होम लोन और कम होगी EMI

HDFC Bank MCLR: देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC ने आज 7 मई 2025 को MCLR घटा दिया है। एचडीएफसी बैंक ने MCLR में 0.10 फीसदी से 0.15 फीसदी की कटौती की है। MCLR घटने से होम, कार और पर्सनल लोन की EMI कम होती है

अपडेटेड May 07, 2025 पर 4:03 PM
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HDFC Bank MCLR: देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC ने आज 7 मई 2025 को MCLR घटा दिया है।

HDFC Bank MCLR: देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC ने आज 7 मई 2025 को MCLR घटा दिया है। एचडीएफसी बैंक ने MCLR में 0.10 फीसदी से 0.15 फीसदी की कटौती की है। MCLR घटने से होम, कार और पर्सनल लोन की EMI कम होती है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के रेपो रेट में 2 बार कटौती के बाद से ही ज्यादातर बैंक एफडी पर ब्याज घटा रहे हैं। साथ ही कई बैंकों ने MCLR में भी कटौती की है।

HDFC Bank ने घटाया MCLR

MCLR के आधार पर ही होम, कार और पर्सनल लोन का इंटरेस्ट तय होता है। HDFC ने सभी पीरियड पर MCLR को 0.10 फीसदी से लेकर 0.15 फीसदी तक MCLR घटा दिया है। HDFC Bank का नया MCLR रेट आज 7 मई 2025 से लागू हो गया है।

पीरयड नया MCLR (7 मई 2025) पुराना MCLR
ओवनाइट 9.00% 9.10%
एक महीना 9.00% 9.10%
तीन महीना 9.05% 9.20%
छह महीना 9.15% 9.30%
1 साल 9.15% 9.30%
2 साल 9.20% 9.30%
3 साल 9.20% 9.35%


एचडीएफसी बैंक की नई MCLR दरें - 7 मई 2025 से लागू

एचडीएफसी बैंक की ओवरनाइट एमसीएलआर 9.00  फीसदी है। एक महीने का एमसीएलआर कम होकर 9.00 फीसदी हो गया है। तीन महीने का का रेट कम होकर 9.05 फीसदी हो गया है। छह महीना और एक साल का रेट कम होकर 9.15 फीसदी हो गया है। ये पहले 9.30 फीसदी था। तीस साल का एमसीएलआर 9.29 फीसदी कर दिया गया है।

MCLR बढ़ने या घटने का असर

जब भी कोई बैंक अपना MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) बदलता है, तो उसका सीधा असर होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन जैसी फ्लोटिंग रेट वाली लोन की EMI पर पड़ता है।

अगर बैंक MCLR बढ़ाता है, तो लोन की ब्याज दर बढ़ जाती है। इसका मतलब है कि आपको हर महीने ज्यादा EMI चुकानी होगी। हीं अगर बैंक MCLR घटाता है, तो ब्याज दरें कम हो जाती हैं और आपकी EMI भी कम हो जाती है। सका फायदा उन लोगों को भी होता है जो नया लोन लेना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें पहले के मुकाबले सस्ता लोन मिल सकता है।

कैसे तय होता है MCLR?

बैंक MCLR तय करने के लिए कई फैक्टर पर ध्यान देते हैं, जैसे डिपॉजिट रेट, रेपो रेट, ऑपरेशनल कॉस्ट और कैश रिजर्व रेशो (CRR) की लागत। जब RBI रेपो रेट में बदलाव करता है, तो इसका सीधा असर MCLR पर पड़ता है। अगर रेपो रेट घटता है, तो बैंक भी MCLR कम कर सकते हैं, जिससे लोन सस्ता हो सकता है। वहीं, अगर रेपो रेट बढ़ता है, तो MCLR भी बढ़ जाता है और लोन की ईएमआई महंगी हो जाती है।

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First Published: May 07, 2025 4:03 PM

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