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Health Insurance Porting: बीमा कंपनी बदलने पर रिजेक्ट हो रहा क्लेम तो जान लें ये जरूरी टिप्स

Health Insurance Porting: स्वास्थ्य बीमा पोर्टिंग का मतलब है अपनी मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को बिना लाभ खोए किसी दूसरी कंपनी में ट्रांसफर करना। इस प्रक्रिया में सही जानकारी देना, वेटिंग पीरियड समझना और जरूरी दस्तावेज संभालकर रखना जरूरी होता है ताकि क्लेम रिजेक्शन से बचा जा सके।

Edited By: Shradha Tulsyanअपडेटेड Oct 30, 2025 पर 6:28 PM
Health Insurance Porting: बीमा कंपनी बदलने पर रिजेक्ट हो रहा क्लेम तो जान लें ये जरूरी टिप्स

स्वास्थ्य बीमा या हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को समय-समय पर बेहतर कवरेज, कम प्रीमियम या बेहतर सेवा के लिए बदलना आम बात हो गई है। इसे पोर्टिंग कहा जाता है, जिसका मतलब है कि आप अपनी पुरानी पॉलिसी को छोड़कर नई कंपनी में ट्रांसफर कर सकते हैं बिना कोई विशेष लाभ खोए। लेकिन बीमा कंपनी बदलते समय कई बार क्लेम रिजेक्शन जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं, इसलिए सावधानी जरूरी है।

पोर्टिंग प्रक्रिया और वेटिंग पीरियड

हर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कुछ बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड होता है, जिसके दौरान उस बीमारी पर क्लेम स्वीकार नहीं किया जाता। उदाहरण के लिए, अगर आपकी पुरानी पॉलिसी में किसी बीमारी पर तीन साल का वेटिंग पीरियड था और आपने दो साल बाद पोर्ट किया, तो नई बीमा कंपनी बचे हुए एक साल का वेटिंग पीरियड भी लागू कर सकती है। इसलिए जब भी आप नई पॉलिसी में पोर्ट करें, तो यह स्पष्ट कर लें कि कौन-कौन से वेटिंग पीरियड ट्रांसफर हो रहे हैं।

आवश्यक दस्तावेज और सही जानकारी देना

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