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RBI के रेट घटाने के बावजूद आपके होम लोन की EMI नहीं घटी है? तो अपनाएं यह रास्ता

RBI का रेपो रेट घटाने का मतलब यह होता है कि बैंक नए लोन के इंटरेस्ट में कमी करेंगे। साथ ही पुराने फ्लोटिंग रेट वाले लोन के इंटरेस्ट रेट में भी कमी करेंगे। कई बार इसमें थोड़ा समय लग जाता है। इसका मतलब है कि आरबीआई के रेपो रेट घटाने के बाद EMI कम होने में कुछ हफ्तों का समय लग जाता है

अपडेटेड Apr 23, 2025 पर 5:32 PM
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RBI अब तक दो बार रेपो रेट में 25-25 बेसिस प्वाइंट्स की कमी कर चुका है। इससे रेपो रेट 6.5 फीसदी से घटकर 6 फीसदी पर आ गया है।

RBI ने लंबे इंतजार के बाद इस साल रेपो रेट में कमी करना शुरू किया। अब तक केंद्रीय बैंक दो बार रेपो रेट में 25-25 बेसिस प्वाइंट्स की कमी कर चुका है। इससे रेपो रेट 6.5 फीसदी से घटकर 6 फीसदी पर आ गया है। आरबीआई के इंटरेस्ट रेट घटाने पर होम लोन ले चुके लोगों में खुशी थी। उन्हें लगा कि अब उनके होम लोन की ईएमआई घट जाएगी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ है। इसलिए ये लोग बहुत मायूस हैं।

रेपो रेट घटने के बाद EMI कम होने में लगता है समय

RBI का रेपो रेट घटाने का मतलब यह होता है कि बैंक नए लोन के इंटरेस्ट में कमी करेंगे। साथ ही पुराने फ्लोटिंग रेट वाले लोन के इंटरेस्ट रेट में भी कमी करेंगे। कई बार इसमें थोड़ा समय लग जाता है। इसका मतलब है कि आरबीआई के रेपो रेट घटाने के बाद EMI कम होने में कुछ हफ्तों का समय लग जाता है। कई बार काफी इंतजार के बाद भी EMI में कमी देखने को नहीं मिलती है। अगर केंद्रीय बैंक के रेपो रेट घटाने के बाद आपकी EMI नहीं घटी है तो आप ऐसा अकेला व्यक्ति नहीं हैं।


EMI में कमी कई बातों पर निर्भर करती है

एक्सपर्ट्स का कहना है कि आरबीआई के रेपो रेट घटाने का मतलब यह नहीं है कि होम लोन लेने वाले हर व्यक्ति की EMI में कमी आएगी। दरअसल, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट पर लोन लिया है या फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर लिया है। यहां तक कि फ्लोटिंग रेट वाले होम लोन में भी रेट कट का फायदा इस बात पर निर्भर करता है कि आपका बैंक लोन के लिए किस बेंचमार्क का इस्तेमाल करता है।

अक्टूबर 2019 से बदल गए लोन के बेंचमार्क के नियम

अक्टूबर 2019 से ज्यादातर फ्लोटिंग रेट वाले लोन के लिए बेंचमार्क आरबीआई का रेपो रेट है। लेकिन, इससे पहले के लोन मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिग रेट (MCLR) से जुड़े हो सकते हैं। कुछ लोन बेस रेट सिस्टम को भी बेंचमार्क मान रहे होंगे। ऐसे लोन पर रेपो रेट में कमी का असर देर से दिखता है। इसके अलावा बैंक क्रेडिट रिस्क प्रीमियम, ऑपरेशनल कॉस्ट और फंड की अपनी कॉस्ट का भी ध्यान रखने के बाद लोन के इंटरेस्ट रेट में कमी करते हैं।

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आपके लिए यह है सबसे अच्छा रास्ता

अगर आरबीआई के रेपो रेट घटाने के बाद भी होम लोन की आपकी EMI कम नही हुई है तो आपको सबसे पहले यह पता करना होगा कि आपका बैंक किस बेंचमार्क का इस्तेमाल करता है। अगर आपने अक्टूबर 2019 से पहले के सिस्टम में लोन लिया है तो आप उस लोन को रेपो रेट वाले लोन में स्विच कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने बैंक को अप्लिकेशन देना होगा। अगर लोन लेने के बाद आपका क्रेडिट स्कोर बढ़ा है तो बैंक आपको लोन स्विच करने की इजाजत आसानी से दे देगा। इससे होम लोन की आपकी EMI कम हो जाएगी।

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