पिछले साल मई में RBI ने रेपो रेट बढ़ाना शुरू किया था। इस दौरान उसने रेपो रेट 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया है। इसका सीधा असर होम लेने वाले लोगों पर पड़ा है। बैंकों ने उनके होम लोन की अवधि बढ़ा दी है। इससे उन पर होम लोन के इंटरेस्ट का बोझ काफी बढ़ गया है। होम लोन की अवधि जितनी लंबी होती है, ग्राहक पर इंटरेस्ट का बोझ उतना ही ज्यादा आता है। कई लोगों ने होम लोन लेते वक्त कई चीजों के आधार पर इंटरेस्ट का कैलकुलेशन किया था। उनका मानना था कि रिटायरमेंट से काफी पहले उनका होम लोन खत्म हो जाएगा, जिससे वे अपनी दूसरी जरूरतों पर फोकस कर सकेंगे। लेकिन, रेपो रेट करीब एक साल में ढ़ाई फीसदी बढ़ जाने से बैंकों ने ग्राहकों के होम लोन की अवधि बढ़ा दी है, जिससे उनका कुल कैलकुलेशन गड़बड़ा गया है। कई लोगों का होम लोन अब उनके रिटायर होने तक चलता रहेगा।
इंटरेस्ट रेट बढ़ने पर लोन की अवधि बढ़ा देते हैं बैंक
यहां ध्यान देने वाली एक बात यह है कि अब तक इंटरेस्ट रेट बढ़ने पर बैंक ग्राहकों के होम लोन की अवधि बढ़ा देते थे। इस बारे में वे ग्राहकों की राय नहीं पूछते थे। यह एक तरह से बैंकों का प्रैक्टिस बन गया था। दरअसल, बैंकों का यह मानना था कि अगर ग्राहकों को EMI अमाउंट बढ़ाने का मौका दिया जाता है तो इससे डिफॉल्ट का खतरा बढ़ जाएगा। इसकी वजह यह है कि कई लोग पहले से ही मुश्किल से होम लोन की EMI चुकाने की स्थिति में होते हैं। इंटरेस्ट लगातार बढ़ने पर अगर लोन की अवधि नहीं बढ़ाई गई तो EMI अमाउंट बहुत बढ़ जाएगा। ऐसे में कई लोग लोन पर डिफॉल्ट कर सकते हैं। इससे बैंकों को बहुत नुकसान होगा।
इंटरेस्ट रेट बढ़ने के असर के बारे में भी बताना होगा
बैंक को ग्राहक को तीसरे विकल्प के तहत EMI अमाउंट और होम लोन की अवधि दोनों ही बढ़ाने का विकल्प देना होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि केंद्रीय बैंक ने ग्राहकों के हित में बैंकों की जिम्मेदारी बढ़ा दी है। अब उन्हें ग्राहकों को यह बताना होगा कि इंटरेस्ट बढ़ने की वजह से उनके होम लोन पर क्या असर पड़ेगा। बैंकों को ग्राहकों को अपने होम लोन को फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट में स्विच करने का भी विकल्प देना होगा। बैंक को यह भी ग्राहक को बताना होगा कि उसका EMI कितनी होनी चाहिए, जिससे मूलधन के साथ इंटरेस्ट का पेमेंट हो जाए।
आप इंटरेस्ट पर होने वाले खर्च को ऐसे घटा सकते हैं
एक्सपर्ट्स का कहना है कि RBI का यह नोटिफिकेशन ग्राहकों के हित में है। इसकी मदद से वे होम लोन के इंटरेस्ट पेमेंट पर बड़ी सेविंग्स कर सकते हैं। इसे हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं। मान लीजिए आपने 50 लाख रुपये का होम लोन लिया है, जिसका इंटरेस्ट रेट 7 फीसदी है। इसकी अवधि 20 साल है। आपने 2020 में यह होम लोन लिया था। तब आपकी EMI 38,765 रुपये थी। इंटरेस्ट के रूप में आपका कुल खर्च 43,04 लाख रुपये रहने वाला था। अब हम मान लेते हैं कि इंटरेस्ट रेट बढ़कर 9.25 फीसदी हो जाता है। अगर आप 20 साल में ही अपना होम लोन चुका देना चाहते हैं तो बाकी के 17 साल में आपकी EMI बढ़कर 44,978 रुपये हो जाएगी। इस तरह इंटरेस्ट पर होने वाला आपका कुल खर्च बढ़कर 55.7 लाख रुपये हो जाएगा।
अगर आप चाहते हैं कि आपकी EMI नहीं बढ़ाई जाए और लोन की अवधि बढ़ा दी जाए तो 20 साल की जगह यह लोन अब 26 साल 10 महीने में खत्म होगा। इस तरह इंटरेस्ट पर होने वाला आपका कुल खर्च बढ़कर 88.52 लाख रुपये हो जाएगा। इस तरह आपको 33 लाख रुपये अतिरिक्त इंटरेस्ट का पेमेंट करना होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह महंगे का सौदा है। पहले बैंक अपने मन से होम लोन की अवधि बढ़ा देते थे। ऐसा करना उनके लिए फायदेमंद था। लेकिन, यह ग्राहकों के लिए नुकसान का सौदा था।
RBI का नोटिफिकेशन ग्राहकों के लिए फायदेमंद
लेकिन, अब RBI ने होम लोन ग्राहकों के हित में एक बड़ा कदम उठाया है। उसने 18 अगस्त को एक नोटिफिकेशन जारी किया है। यह बैंकों के लिए है। यह होम लोन ग्राहकों के लिए बहुत फायदेमंद है। लेकिन, होम लोन के कई ग्राहकों को इस नोटिफिकेशन के बारे में पता नहीं है। इसमें केंद्रीय बैंक ने बैंकों को साफ तौर पर कहा है कि वे इंटरेस्ट रेट बढ़ने पर होम लोन की अवधि बढ़ाने का एकतरफा फैसला नहीं ले सकते। इस नोटिफिकेशन के मुताबिक, बैंकों को ग्राहकों को इस मामले में कुछ विकल्प देने होंगे।
बैंकों को देने होंगे ग्राहकों को विकल्प
बैंक पहले विकल्प के रूप में ग्राहक को होम लोन की EMI बढ़ाने का विकल्प देंगे। इसका मतलब यह है कि अगर इंटरेस्ट रेट 0.50 फीसदी बढ़ता है तो उसके हिसाब से होम लोन की EMI कितनी बढ़ेगी, इस बारे में बैंक को ग्राहकों को बताना होगा। अगर ग्राहक अपनी EMI का अमाउंट बढ़ाने के लिए तैयार है तो बैंक को ऐसा करना होगा। इससे होम लोन की अवधि पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अगर पहले उसके होम लोन की अवधि 15 साल थी तो यह 15 साल ही बनी रहेगी। दूसरा विकल्प यह होगा कि बैंक ग्राहक को होम लोन की अवधि बढ़ाने का विकल्प देगा। अगर किसी ग्राहक के लिए ज्यादा EMI चुकाना मुमकिन नहीं है तो वह होम लोन की अवधि बढ़ाने का विकल्प ले सकता है।