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अपना रोजगार करते हैं या फ्रीलांसिंग, आसानी से मिलेगा टर्म इंश्योरेंस; बस इन बातों का रखें ख्याल

स्वरोजगार करने वालों के लिए टर्म इंश्योरेंस लेना मुश्किल हो सकता है। लेकिन आप कुछ बातों का ध्यान रखकर आसानी से टर्म इंश्योरेंस ले सकते हैं। आइए जानते हैं कि आपको किन बातों का ध्यान रखना होगा और एक से अधिक पॉलिसी लेना सही रहेगा या नहीं।

अपडेटेड Mar 23, 2025 पर 2:46 PM
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बीमा कंपनियों को अपना रोजगार करने वालों की कमाई का आकलन करने में दिक्कत होती है।

Term Insurance Plan: अगर आप खुद का बिजनेस (self-employed individuals) या फ्रीलांसिंग करते हैं, तो आपने भी कभी न कभी टर्म इंश्योरेंस लेने की सोची होगी। लेकिन क्या आपको महसूस हुआ कि बीमा कंपनियां इसे इतनी आसानी से अप्रूव नहीं करतीं? अगर महसूस हुआ, तो आप अकेले नहीं हैं। बीमा कंपनियां सैलरीड क्लास के मुकाबले अपना रोजगार करने वाले और फ्रीलांसर को आसानी से टर्म इंश्योरेंस नहीं देती हैं। इसकी वजह भी बेहद सीधी है- अनियमित आय और दस्तावेजों की कमी।

सरकारी डेटा बताता है कि भारत में स्वरोजगार करने वालों की संख्या 2023-24 में बढ़कर 58.4% हो गई, जो 2018-19 में 52% थी। खासकर ग्रामीण इलाकों में महिलाएं तेजी से अपना रोजगार कर रही हैं। वहां यह आंकड़ा 73.5% तक पहुंच चुका है। लेकिन समस्या यह है कि स्वरोजगार करने वालों की औसत मासिक आय ₹12,585 है, जो नियमित वेतन पाने वालों के ₹20,095 के मुकाबले काफी कम है। इससे इंश्योरेंस कंपनियों को यह तय करने में दिक्कत होती है कि इन लोगों को टर्म इंश्योरेंस कैसे दिया जाए।

कमाई का आकलन करने के लिए AI की मदद


Go Digit Life Insurance के चीफ बिजनेस ऑफिसर सुंदीप भारद्वाज के अनुसार, अब इंश्योरेंस कंपनियां AI और नई तकनीकों का इस्तेमाल करके स्वरोजगार करने वालों की इनकम को बेहतर तरीके से आकलन कर रही हैं।

भारद्वाज का कहना है, 'हमें मालूम है कि स्वरोजगार करने वालों के लिए आय साबित करना मुश्किल हो सकता है। इसलिए हम पारंपरिक दस्तावेजों पर निर्भर रहने के बजाय,वैकल्पिक इनकम सोर्स को भी अहमियत देते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को कवरेज मिल सके।'

टर्म इंश्योरेंस लेते समय किन बातों का ध्यान रखें?

अगर आप अपना रोजगार करते हैं या फ्रीलांसर हैं और टर्म इंश्योरेंस लेना चाहते हैं, तो आपको कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए।

  • अपने आश्रितों की जरूरतें, कर्ज और भविष्य की वित्तीय जरूरतें का आकलन करें। जैसे बच्चों की पढ़ाई, शादी और मां-बाप की देखभाल।
  • महंगाई को जरूर ध्यान में रखें। आज जितना पर्याप्त लगे, हो सकता है 10-15 साल बाद वह नाकाफी हो।
  • बैंक स्टेटमेंट, जीएसटी फाइलिंग, आईटीआर जैसे डॉक्युमेंट नियमित रूप से मेंटेन करें ताकि इंश्योरेंस अप्रूवल में आसानी हो।
  • डिसेबिलिटी कवर, क्रिटिकल इलनेस कवर और एक्सीडेंटल डेथ कवर जोड़कर अपनी सुरक्षा बढ़ाएं।

क्या एक से ज्यादा पॉलिसी लेना सही रहेगा?

कई self-employed individuals ज्यादा कवरेज पाने के लिए अलग-अलग कंपनियों से कई पॉलिसी खरीदते हैं। लेकिन अब अंडरराइटिंग टेक्नोलॉजी में सुधार होने से कंपनियां ज्यादा व्यापक कवरेज देने के काबिल हो रही हैं। इससे एक ही पॉलिसी में ज्यादा फायदे मिल सकते हैं। इस नजरिए से आपको एक से अधिक पॉलिसी लेने की जरूरत नहीं होती है।

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