हेल्थ इंश्योरेंस पोर्ट कराने के हैं बड़े फायदे, बीमा कंपनी बदलने के बाद भी वेटिंग पीरियड रहेगा बरकरार
Health Insurance Portability: हेल्थ इंश्योरेंस पोर्ट करने से आप अपनी पॉलिसी बदल सकते हैं। इसमें पहले वाला वेटिंग पीरियड बरकरार रहता है, खर्च कम होता है। कई बार बेहतर अस्पताल नेटवर्क मिल जाता है और क्लेम प्रक्रिया आसान हो जाती है। जानिए डिटेल।
इंश्योरेंस पोर्टिंग से आप ऐसी पॉलिसी चुन सकते हैं जो पैसे के हिसाब से बेहतर हो।
Health Insurance Portability: मेडिकल इंश्योरेंस पोर्ट करने का मतलब है कि आप अपनी बीमा कंपनी बदल सकते हैं। इससे आपकी पॉलिसी आपकी मौजूदा जरूरतों के हिसाब से फिट हो सकेगी। उम्र के अलग-अलग चरण में हमारी स्वास्थ्य जरूरतें बदलती रहती हैं। जैसे, 20 के दशक में आपको मातृत्व लाभ की जरूरत नहीं होती, लेकिन जब परिवार बनाने का समय आता है, तो यह जरूरी हो जाता है।
इसी तरह, आप ज्यादा कवरेज, OPD सुविधाएं या अंग प्रत्यारोपण जैसी सुविधाएं चाहते हैं। पोर्टिंग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप नई कंपनी में बदलते समय पहले से अर्जित लाभ (जैसे वेटिंग पीरियड) खोते नहीं हैं। यानी आपको सब कुछ नए सिरे से शुरू नहीं करना पड़ता।
खर्च कम और बेहतर वैल्यू
बीमा प्रीमियम अलग-अलग कंपनियों में काफी अलग हो सकते हैं। पोर्टिंग से आप ऐसी पॉलिसी चुन सकते हैं जो पैसे के हिसाब से बेहतर हो। उदाहरण के लिए, अगर आपकी मौजूदा पॉलिसी का प्रीमियम उम्र बढ़ने पर बहुत बढ़ जाता है, तो आप दूसरी कंपनी में पोर्ट होकर वही कवरेज कम प्रीमियम में ले सकते हैं।
नई बीमा कंपनी अक्सर वेलनेस बेनिफिट, फ्री हेल्थ चेक-अप और हेल्दी लाइफस्टाइल डिस्काउंट जैसी सुविधाएं भी देती हैं, जो पुरानी पॉलिसी में नहीं मिलतीं। इस तरह, पोर्टिंग के जरिए आप पैसे बचा सकते हैं और परिवार के लिए सही कवरेज भी सुनिश्चित कर सकते हैं।
अस्पताल नेटवर्क तक बेहतर पहुंच
किसी भी आपात स्थिति में सही अस्पताल में इलाज बहुत जरूरी होता है। अगर आपके मौजूदा बीमाकर्ता का अस्पताल नेटवर्क छोटा है या सुविधाजनक जगह पर नहीं है, तो कैशलेस इलाज में परेशानी हो सकती है। पोर्टिंग से आप बड़ी और बेहतर नेटवर्क वाली कंपनी चुन सकते हैं, जिससे अस्पताल तक आसान पहुंच और बेहतर इलाज मिलता है।
ज्यादा अस्पताल होने से इलाज के खर्च कम होते हैं और आपको चिंता भी कम रहती है। यह सुविधा खासकर उन लोगों के लिए उपयोगी है जो अलग-अलग शहरों में रहते हैं या ज्यादा यात्रा करते हैं।
बेहतर ग्राहक सेवा और क्लेम अनुभव
क्लेम का आसान और तेज निपटान किसी भी पॉलिसी का सबसे अहम हिस्सा है। अच्छी पॉलिसी होने के बावजूद अगर ग्राहक सेवा खराब हो या क्लेम जटिल हो, तो पॉलिसी काम की नहीं रहती। अगर आपकी वर्तमान कंपनी की क्लेम प्रक्रिया धीमी या विवादित है, तो पोर्टिंग करके आप भरोसेमंद कंपनी में जा सकते हैं।
क्लेम निपटान की दर, उपभोक्ता शिकायतें और बीमाकर्ता की जवाबदेही देखकर सही फैसला लिया जा सकता है। इससे आपातकाल में तनाव कम होता है और इलाज में देरी नहीं होती।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
क्या पोर्ट करते समय मेरा वेटिंग पीरियड की सुविधा खत्म हो जाएगी?
नहीं, IRDAI सुनिश्चित करता है कि पोर्ट करते समय पहले से पूरा किए गए वेटिंग पीरियड को नई पॉलिसी में ट्रांसफर किया जाए।
क्या नई बीमा कंपनी मेरी पोर्टेबिलिटी रिक्वेस्ट को ठुकरा सकती है?
हां, नई कंपनी आपकी जोखिम प्रोफाइल, मेडिकल इतिहास और क्लेम अनुभव देखकर पोर्टेबिलिटी अनुमति दे सकती है।
पोर्टेबिलिटी प्रक्रिया कब शुरू करनी चाहिए?
आपको अपनी मौजूदा पॉलिसी के रिन्यू की तारीख से कम से कम 45 दिन पहले आवेदन करना चाहिए, ताकि पॉलिसी बदलते समय कवरेज में कोई गैप न आए।